आज हम छोटे बच्चों के लिए 20 Hindi Rochak Kahani | Moral Story in Hindi लेकर आये हैं। यह सभी लघु कहानियों (Hindi Short Stories) से बच्चों को एक शिक्षा मिलती है। ये सभी कहानियाँ केवल नन्हे बच्चों के लिए लिखी गयी है क्योंकि बच्चों को अगर कहानी के माध्यम से पढ़ाया जाये तो वे जल्दी समझते और याद रखते हैं। हमारी यह छोटे बच्चों की नैतिक कहानीयां Moral Story in Hindi | Hindi Rochak Kahani शिक्षकों के लिए भी बहुत उपयोगी है।
Moral Story in Hindi | Hindi Rochak Kahani
अगर हम छोटे बच्चों को किताब देकर पढ़ने या याद करने के लिए बोलते हैं तो वे बस एक या दो लाइन पढ़कर उसमे रूचि नहीं लेते हैं। लेकिन अगर उसी विषय को अगर हम कहानी (Hindi Rochak Kahani) के माध्यम से पढ़ाये तो वे बहुत ही उत्सुकता से पढ़ते हैं और उसे याद भी रखते हैं। निचे हमने सबसे बेहतरीन 20 Moral Story in Hindi दिया है जिसे पढ़कर बच्चों को उस कहानी से हमें क्या शिक्षा मिली है इसकी जानकारी मिलती है।
1. शरारती चूहा | Moral Story in Hindi
रामू के घर में एक शरारती चूहा था। वह बहुत ही छोटा था लेकिन सारे घर में उत्पात मचा रखा था। शरारती चूहा ने रामू की पुस्तक भी कुतर डाली थी। कुछ कपड़े भी कुतर दिए थे। रामू की माँ खाना बनाकर बिना ढके रख देती थी और वह शरारती चूहा उसे भी चट कर जाता था। चूहा खा-पीकर अब बड़ा हो गया था। एक दिन रामू की माँ ने एक बोतल में शरबत बनाकर रखा। उस शरबत पर भी शरारती चूहे की नज़र पड़ गयी और वह कई तरकीब लगाकर थक गया था, वह सोच रहा था की बोतल में रखे शरबत को कैसे पिया जाये।
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एक दिन शरारती चूहा बोतल पर चढ़ा और किसी तरह से ढक्कन को खोलने में सफल हो गया लेकिन वह शरबत वाले बोतल में मुंह नहीं घुसा पा रहा था क्योंकि बोतल का मुंह छोटा था। फिर चूहे ने एक तरकीब लगाया उसने अपनी पूंछ बोतल में डाली। पूंछ शरबत से गीली हो जाती है और वह उसे चाट-चाट कर शरबत को सफा-चट कर जाता है। अब अपना पेट भर लेने के बाद वह रामू के तकिए के नीचे बने अपने बिस्तर पर जाकर आराम करने लगा।
इस कहानी से हमें शिक्षा मिलती है कि हमे कभी हार नहीं माननी चाहिए, मेहनत करने से कोई कार्य असम्भव नहीं होता।
2. धन का लालच | Moral Story in Hindi
एक बहुत गरीब आदमी अपने घर का गुजारा चलाने के लिए रोजाना जंगल से फल-फुल इकट्ठे करता था और गाँव में जाकर उसको बेच करता था। जिस जंगल से वह आदमी फल-फुल लेता था उसमे एक खतरनाक भालू रहा करता था। गरीब आदमी जब भी जंगल में जाता था तो उस भालू को कुछ न कुछ खाने के लिए देता था। इसलिए वह खतरनाक भालू उस आदमी को कुछ नुकसान नहीं पहुँचाता था।
जैसे-जैसे गर्मी का मौसम बढ़ने लगा फल-फूलों में भी कमी होने लगी और एक दिन फिर गरीब आदमी ने उस खतरनाक भालू से कहा की अब मैं तुमको खाने के लिए कुछ नहीं दे पाउँगा जंगल में अब फल-फुल भी नहीं है और मैं अपने परिवार का गुजारा भी ठीक से नहीं कर पा रहा हूँ।
तभी भालू ने मुस्कुराते हुए कहा ठीक है, कल सुबह तुम जल्दी आना। आज तक तुमने मुझे जितना खिलाया है उसके बदले मे मैं तुम्हे कुछ उपहार दूंगा।
भालू के कहे अनुसार वह आदमी सुबह जंगल में जल्दी आ गया। भालू ने उस गरीब से कहा कि तुम्हारे पास सूर्योदय होने से पहले तक का समय है, तुम जितना चाहो मेरे अन्दर से सोना निकाल सकते हो। सूर्योदय होने के बाद मेरा मुंह बंद हो जायेगा।
गरीब आदमी ने भालू के कहे अनुसार उसके पेट से थोड़ा सोना निकाल लिया और उसको धन्यवाद देकर वहाँ से चला गया।
कुछ दिन बाद अब वह गरीब आदमी बहुत अमीर बन चूका था। उसकी अमीरी को देखकर गाँव के कुछ लोग उससे जलने लगे। एक दिन गाँव का एक लखन नाम का व्यक्ति उस अमीर आदमी से पूछता है की तुम्हारी अमीरी का राज क्या हैं? उस अमीर आदमी ने सब कुछ उसे बता दिया।
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अब लखन नाम का लालची व्यक्ति फटे पुराने कपड़े पहन लिए और जंगल से फल लेने के लिए चला गया। कुछ दिनों तक उसने भी ठीक उसी गरीब आदमी कि तरह किया और एक दिन भालू को बोला की अब मैं तुम्हारी और सेवा नहीं कर सकता हूँ।
भालू ने अगले दिन सवेरे जल्दी आने को कहा।
अगली सुबह लखन जल्दी से उठकर एक बड़ा बोरा लेकर जंगल में आ गया। भालू ने अपना मुंह खोला और वह व्यक्ति जल्दी-जल्दी बोरा भरने लगा लेकिन बोरा भरने के चक्कर में सूर्योदय वाली बात को भूल गया था।
अब जैसे ही सूर्योदय हुआ भालू का मुंह बंद हो गया और वह आदमी हमेशा के लिए अन्दर चला गया।
इस कहानी से हमें शिक्षा मिलती है कि हमे कभी भी ज्यादा लालच नहीं करना चाहिए, जितना है उतने में खुश रहना चाहिए।
3. बदसूरत कौआ | Moral Story in Hindi
एक बार एक कौआ नीम की टहनी पर बैठकर कांव-कांव कर रहा था। तभी एक व्यक्ति ने उस पर पत्थर फेंक कर भगा दिया। कौआ बहुत ही निराश हुआ और सोचने लगा कि आखिर क्यों लोग मुझसे इतनी नफरत करते हैं। भगवान ने मुझे इतना काला क्यों बनाया हैं।
तभी वह एक हंस को देखता है जिसे लोग दूर-दूर से देखने के लिए आते थे। वह हंस से बोला तुम कितने सुन्दर हो भाई, तुम्हारे पंख कितने आकर्षक हैं। बहुत दूर-दूर लोग तुम्हे देखने के लिए आते हैं और मुझे दूर से ही पत्थर मारकर भगा देते हैं।
हंस कहता हैं मेरे पास तो केवल सिर्फ एक रंग है, मुझसे ज्यादा सुन्दर तो तोता है, जिसके पास दो-दो रंग है। हंस का जवाब सुनकर कौआ तोता के पास जाता है।
कौआ तोता से बोला भाई तुम कितने सुन्दर हो, तुम्हारे पास दो-दो रंग है। मेरे पास तो एक ही है वह भी भद्दा काला है।
तोता कहता है नहीं भाई, मुझसे ज्यादा सुन्दर तो मोर है, उसके पास तो कई रंग है। मुझसे ज्यादा रंगीन और आकर्षक तो मोर लगता है।
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अब कौआ मोर के पास गया और बोला। मोर भाई तुमसे ज्यादा सुन्दर और मुझसे बदसूरत इस धरती पर कोई नही है।
मोर बहुत ही उदास होकर कहता है ऐसा मत कहो भाई इस पूरी दुनिया में तुम ही भाग्यशाली हो। तुम्हे ना तो कोई पकड़ता है, ना ही कोई पिंजरे में कैद करके रखता है। मुझे देखो, मेरी इस सुन्दरता ने मुझसे मेरा परिवार छीन लिया। सभी को पकड़ कर पिंजरे में डाल दिया है। कुछ दिनों बाद मुझे भी पकड कर पिंजरे में डाल दिया जायेगा।
मोर की बातें सुनकर कौआ उसको सांत्वना देकर वहाँ से चला गया। कौआ वापस नीम की टहनी पर आकर बैठ गया और सोचने लगा कि वह कितना मुर्ख था जो अपने आप को सबसे बदसूरत समझ रहा था। इस दुनिया में उससे खुश पक्षी तो कोई नही है। इसके बाद वह फिर से कांव-कांव करने लग जाता है।
अपनी तुलना दुसरो से नहीं करनी चाहिए, भगवान ने सभी को अलग-अलग गुण दिए हैं।
4. एकता में बल | Moral Story in Hindi
एक गांव में एक किसान रहता था। उसके चार पुत्र थे, सभी ईमानदार और मेहनती थी। बस एक समस्या यह थी कि उनकी आपस में बनती नही थी। सभी एक दूसरे से छोटी मोटी बातो पर लड़ते रहते थे। अपने पुत्रों के बीच होने वाली लड़ाई से किसान बहुत परेशान था। उसने कई बार इनको आपस में मिलाने की कोशिश की पर असफल रहा।
धीरे-धीरे किसान बूढ़ा हो चला, लेकिन उसके लड़को के बीच लड़ाई का सिलसिला वैसे ही चलता रहा। किसान ने अपने लड़को को मिलाने के लिए एक तरकीब बनाई। उसने अपने पुत्रों को एक साथ बुलाया।
पिता का अन्तिम समय देखते हुए चारो पुत्र एक साथ उसके पास पहुँचे।
सभी पुत्रों ने पिता से उन्हे बुलाने का कारण पूछाँ तो किसान बोला, “आज मैं तुम सब को एक काम देने जा रहा हूँ और मैं देखना चाहता हूँ कि कौन इस काम को भली भांति कर लेगा।
किसान ने बड़े लड़के से कई सारी लकड़ियाँ लाने को बोला तथा छोटे लड़के से एक मजबूत रस्सी लाने को कहा। लड़के ईमानदार और मेहनती थे, पिता जी की आज्ञा मानते हुए वे लकड़ी और रस्सी लेने निकल जाते है।
जब बड़ा लड़का लकड़ियाँ लेकर आ जाता है तो किसान दूसरे बेटे से इनका गट्ठर बनाने को कहता है। तब तक छोटा लड़का रस्सी लेकर आ जाता है तो किसान तीसरे बेटे से उस गट्ठर को रस्सी से बाँध देने को कहता है। लड़का उनकी आज्ञा का पालन करता है।
बड़ा लड़का कहता है- पिता जी, अब हमें क्या करना है। इस पर किसान मुस्कराते हुए बोला- तुम सभी में से कौन इस गट्ठर को अपने बल से तोड़ सकता है।
तो एक-एक करके सभी लड़को ने कहा यह तो बहुत ही आसान काम है इसे तो मै चुटकी बजाते ही कर दूंगा।
फिर क्या था अपनी बात साबित करने के लिए वो आपस में झगड़ने लगे कि इसे मै ही तोड़ूगा। किसान बोला मैने तुम्हे यहाँ झगड़ने के लिए नहीं बुलाया है। तुम लोगो को बारी-बारी से मौका दिया जायेगा। सबसे पहले बड़े लड़के को मौका मिला।
उसने भरसक कोशिश की परन्तु वह लकड़ी के उस गट्ठर को तोड़ नहीं पाया। इसी तरह से अन्य लड़के भी उस गट्ठर को तोड़ नहीं पाते है।
छोटा लड़का बोला- पिता जी, यह काम तो असंभव है। किसान मुस्कराते हुए लकड़ी का गट्ठर खोलता है और लकड़ियाँ अलग-अलग कर देता है।
किसान कहता है- अब इन लकड़ियों को कौन तोड़ेगा। तो सभी उन अलग-अलग लकड़ियों को तोड़ लेते हैं।
किसान बोला- बच्चो आप चारो इन लकड़ियों की तरह हो, जब तक साथ रहोगे तो तुम्हे कोई नुकसान नहीं पहुँचा सकता है परन्तु यदि तुम अकेले अकेले लड़ते झगड़ते रहोगे तो इन अकेली लकड़ियों की तरह ही टूट जाओगे।
इस कहानी से हमें एकता में बड़ी ताकत होती है इसकी शिक्षा मिलती है। अगर हम मिलजुलकर एक साथ रहें तो कोई भी हमें नुकसान नहीं पहुँचा सकता है।
5. चिड़ियाँ का घोंसला | Moral Story in Hindi
एक छोटी चिड़ियाँ एक खेत में कई दिनों से अपने घोंसले में रहती थी। उसका घोसला पुराना हो चुका था और सर्दि का मौसम भी आने वाला था यह सोचकर छोटी चिड़िया ने नया घोसला बनाने की सोची।
उसने एक दिन बहुत मेहनत की, एक-एक तिनका चुनकर बड़ी मेहनत से उसने पास के ही एक खेत में नया घोसला बनाया। नये घोसले में जाने से पहले उसने सोचा की चलो आज की रात यही पुराने घोसले में ही बिता लेती हूँ, कल से नये घोसले में रहूंगी।
लेकिन यह क्या! जब अगली सुबह वह अपने नये घोसले को देखती है तो उसकी आँखे फटी की फटी रह जाती है। एक बाज उसके नए घोसले तोड़ फोड़कर चला जाता है।
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छोटी चिड़िया या सब देखकर काफी मायूस हो गयी और उसकी आँखे भी भर आयी थी। उसने बड़ी मेहनत से यह घोसला बनाया था और किसी ने उसे रातो रात उजाड़ दिया।
उसने गहरी सांस ली, हल्का सा मुस्कराई और अगले ही पल कुछ अजीब हुआ। वह सब कुछ भुलाकर फिर से एक-एक तिनका बिनकर लाने लगी। और सुबह से शाम तक कड़ी मेहनत करने के बाद वह दुबारा अपना घोसला बना लेती है और खुशी मन से उसमें रहने लगती है।
इस कहानी से यह शिक्षा मिलती है कि यदि हमारे साथ कुछ बुरा होता है तो हम शिकायत करते है, दुनिया से उसका रोना रोते है। लोगो को भी कोसते है और हिम्मत हार जाते है। ऐसा करने की बजाय हमें दुबारा बिना समय गवाँए दुबारा उससे अधिक मेहनत से उस काम को करने में लग जाना चाहिए।
6. भेड़िया और सारस | Moral Story in Hindi
एक बार एक भेड़िया किसी जानवर को खा रहा था और जल्दबाज़ी में खाते हुए उसके गले में एक हड्डी फस जाती है। काफी कोशिश करने के बाद भी वो हड्डी उसके गले से नहीं निकलती। अब वह भेड़िया एक बुरी स्थिति में फस चुका था।
तभी उसको एक लम्बी चोंच वाली सारस दिखी। उसको देखते ही भेड़िया को एक सुझाव आया की सारस उसकी मदद कर सकता है और वह मदद के लिए सारस के पास गया। उसने सारस से कहा की वह उसकी मदद करे बदले में उसे वह इनाम देगा।
पहले तो सारस घबरा गया था की भेड़िये के मुँह में अपनी चोंच डालके निकालने से उसको कोई नुकशान न हो पर भेड़िये के इनाम देने के लालच में उसने हाँ कर दी।
सारस ने जल्द ही हड्डी उसके गले से निकाल दी। हड्डी निकलते ही भेड़िया चलने लग पड़ा तो सारस ने कहा, भेड़िया भाई मेरा इनाम तो दे दीजिये? तो भेड़िये ने कहा की क्या यह काफी नहीं है कि मैंने तुम्हारा सिर को बिना काटे ही अपने मुँह से बाहर निकालने दिया, यही तुम्हारा इनाम है।
जिसको कोई आत्मसम्मान नहीं है उसकी सहायता करने के लिए किसी पुरस्कार की अपेक्षा ना करें। स्वार्थी लोगों के साथ रहने से आपको किसी प्रकार की मदद नहीं मिलेगी।
7. यात्री और सादा पेड़ | Moral Story in Hindi
तेज़ गर्मियों की दोपहर को दो यात्री पैदल जा रहे थे, तभी उन्हें एक बहुत बड़ा और घना पेड़ दिखाई देता है और वे दोनों उस पेड़ की छांव में धुप से बचने के लिए बैठ जाते हैं।
आराम करते हुए उनमें से एक व्यक्ति बोला की ये पेड़ बहुत ही बेकार है। इसमें कोई भी फल नहीं लगा हुआ है, बहुत ही बेकार पेड़ है।
तभी पेड़ से एक आवाज़ आयी, इतना एहसान फरामोश ना बनो। इस क्षण मै तुम्हारे लिए बहुत ही फायदेमंद हूँ। तम्हे कड़कती धूप से बचा रहा हूँ और तुम मुझे बेकार कहे जा रहे हो।
प्रकृति की बनाई हुई हर चीज़ का कोई ना कोई महत्त्व है इस लिए किसी भी चीज़ को बेकार ना समझें।
8. चींटी और कबूतर | Moral Story in Hindi
एक बार कड़कती धुप में एक चींटी को बहुत ज्यादा प्यास लगी थी। वह पानी की तलाश में एक नदी के किनारे पहुंच गयी। नदी में पानी पीने के लिए वह एक छोटी सी चट्टान पर चढ़ गयी और वहां से फिसल जाती है और फिसलते हुए नदी में जा गिरती है। पानी का बहाव ज्यादा तेज़ होने से वह नदी में बहने लगती है।
तभी पास के ही एक पेड़ पर कबूतर बैठा हुआ था। उसने चींटी को नदी में गिरते हुए देख लिया था। कबूतर ने जल्दी से एक पत्ता तोड़ा और नदी में चींटी के पास फेंक दिया और चींटी उस पर चढ़ गयी। कुछ देर बाद चींटी किनारे लगी और वह पत्ते से उतर कर सूखी जमीं पर आ गयी। उसने पेड़ की तरफ देख और कबूतर को धन्यबाद दिया।
शाम को उसी दिन एक शिकारी जाल लेके कबूतर को पकड़ने आया।
कबूतर पेड़ पर आराम कर रहा था और उसको शिकारी के आने का कोई अंदाजा नहीं था। चींटी ने शिकारी को देख लिया और जल्दी से पास जाके उसके पॉंव पर जोर से काटा।
चींटी के काटने पर शिकारी की चीख निकल गयी और कबूतर जाग गया और उड़ गया।
कर भला तो हो भला। अगर आप अच्छा करोगे तो आपके साथ भी अच्छा ही होगा।
9. किसान और ज़हरीला सांप | Moral Story in Hindi
एक बार एक किसान सर्दि के दिनों में अपने खेतों में से गुज़र रहा था। तभी उसकी नज़र एक ठंड से सिकुड़ते हुए सांप पर पड़ी। किसान को पता था की सांप वह साँप बहुत ही खतरनाक और ज़हरीला है फिर भी उसने उसे हिम्मत करके उठाया और अपनी टोकरी में रख लिया।
फिर उस सांप के ऊपर उसने घास और पत्ते डाल दिए ताकि उसे कुछ गर्मी मिल सके और सांप ठण्ड की वजह से मरने से बच जाये।
जल्द ही सांप ठीक हो गया और वह टोकरी से निकलकर उस किसान के पैर को काट लिया जिसने उसकी इतनी मदद की थी।
उसके जहर से तुरंत ही किसान की मौत हो गयी और मरते-मरते उसने अपनी आखिरी साँस में कहा की “मुझसे ये सीख लो, की कभी किसी दुष्ट (बुरे, नीच) पर दया न करो”।
कुछ लोग ऐसे होते हैं की जो अपने स्वभाव को कभी नहीं बदलते हैं, फिर चाहे हम उनके साथ कितना भी अच्छा व्यवहार करें। हमेशा उन लोगों से सावधान रहें और उनसे दूरी बनाए रखें जो केवल अपने फायदे के बारे में सोचते हैं।
10. चींटी की सूझ-बूझ | Moral Story in Hindi
गर्मियों के दिन थे। लोग गर्मी से बचने के लिए अपने घरों में दुबके बैठे थे। पक्षियों ने घने पेड़ों पर शरण ली हुई थी। टिड्डा भी झाड़ियों के बीच छिपा बैठा था, पर एक चींटी गर्म दोपहरी में भी अपने लिए भोजन इकट्ठा कर रही थी।
टिड्डा चींटी का मजाक उड़ाते हुए बोला, “इतनी तेज धूप में भी तुम चैन से बैठने की बजाय खाना इकट्ठा कर रही हो, जैसे कि अकाल पड़ने वाला हो। आराम से किसी ठंडी जगह पर बैठो और मौज-मस्ती करो।
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चींटी बोली मेरे पास मौज-मस्ती करने के लिए बिलकुल भी समय नहीं है। सर्दियाँ आने वाली है और मुझे ढेर सारा भोजन इकट्ठा करना है। टिड्डे को जवाब देकर चींटी फिर अपने काम में जुट गई।
कुछ दिन गर्मियों के बाद कड़ाके की सर्दी पड़ने लगी। चारों ओर बर्फ ही बर्फ, टिड्डे को बहुत भूख लग रही थी लेकिन उसके पास कुछ नहीं था, और उसे कहीं कुछ खाने को भी नहीं मिल रहा था। अंत में वह चीटी के घर गया और उससे कुछ खाने को मांगा।
चींटी बोली जब मैं भोजन इकट्ठा कर रही थी तब तुम मेरा मजाक उड़ा रहे थे। अब जाओ यहाँ से, तुम्हें देने को मेरे पास कुछ नहीं है।
इस कहानी से यह शिक्षा मिलती है कि हमें वर्तमान का आनंद लेते हुए भविष्य की भी चिंता करनी चाहिए।
11. लालची चरवाहा | Moral Story in Hindi
एक दिन एक चरवाहा अपनी बकरियों को लेकर पास के जंगल में चराने गया । अचानक तेज बारिश होने लगी और वह अपनी बकरियों को हाँककर पास की एक गुफा में ले गया।
चरवाहे ने जब देखा कि वहाँ पहले से कुछ जंगली बकरियाँ शरण लिये हुए हैं तो वह बहुत खुश हुआ। उसने सोचा, ‘इन बकरियों को भी अपनी बकरियों के झुंड में मिला लूंगा।’
यह सोचकर चरवाहा जंगली बकरियों की खूब देखभाल करता। उन्हें हरे पत्ते और घास खिलाता और अपनी बकरियों पर जरा भी ध्यान नहीं देता था। इसलिए वे दिनों दिन कमजोर होती जा रही थीं। कई दिनों के बाद बरसात रुकी और बरसात रुकते ही जंगली बकरियाँ जंगल में भाग गईं।
चरवाहे ने सोचा चलो कोई बात नहीं अपनी बकरियाँ तो है। लेकिन उस वक्त उसके आश्चर्य का ठिकाना नहीं रहा, जब उसने देखा कि उसकी सब बकरियाँ भूख से मरी पड़ी हैं।
चरवाहा बोला मेरे जैसा मूर्ख व्यक्ति दूसरा नहीं होगा जो कि जंगली बकरियों के लालच में अपनी बकरियों से भी हाथ धो बैठा। फिर पछतावे से हाथ मलता वह अपने घर लौट गया।
इस कहानी से यह शिक्षा मिलती है कि हमें कभी ज्यादा लालच नहीं करना चाहिए और हमे संतोषी प्रवृत्ति अपनानी चाहिए।
12. बाज और सियार | Moral Story in Hindi
एक पेड़ की ऊँची शाखा पर एक बाज घोंसला बनाकर रहता था। उसी पेड़ के नीचे एक सियार का घर था। एक दिन जब सियार शिकार के लिए गया हुआ था तभी बाज पेड़ से उतरकर नीचे आया और सियार के छोटे से बच्चे को उठाकर ले गया। जब सियार लौटकर आया तो उसको अपना बच्चा दिखाई नहीं दिया।
उसने पेड़ पर बैठे हुए बाज से पूछा – क्या तुमने मेरा बच्चा उठाकर कहीं छिपाया है। कृपा करके मेरा बच्चा मुझे लौटा दो। सियार काफी देर तक गिड़गिड़ाता रहा पर जब बाज ने कोई उत्तर नहीं दिया तो सियार कहीं से जलती हुई लकड़ी ले आया।
उसने चेतावनी दी, मेरा बच्चा लौटा दो वरना इस सूखे पेड़ को आग लगा दूंगी और तुम्हारे बच्चे भी इस आग में जलकर मर जाएंगे। यह सुनते ही बाज ने डरकर उसका बच्चा लौटा दिया।
दूसरों से भी वैसा ही व्यवहार करो, जैसा कि अपने लिए चाहते हो।
13. अधिक शक्तिशाली कौन | Moral Story in Hindi
एक बार ऐसा हुआ कि एक आदमी और एक शेर साथ-साथ सफर कर रहे थे। दोनों आपस में बात कर रहे थे कि दोनों में कौन ज्यादा शक्तिशाली हैं।
जल्दी ही दोनों अपनी-अपनी तारीफ करने लगे। आदमी ने कहा कि वह सबसे शक्तिशाली है और शेर बोला कि उससे ज्यादा ताकतवर इस दुनिया में कोई नहीं है।
झगड़ते हुए वे एक चौराहे पर पहुंचे। वहाँ एक मूर्ति लगी थी, जिसमें एक आदमी एक शेर को मार रहा था।
आदमी ने शेर से बोला- यह मूर्ति देखो इससे यह साबित हो जाता है कि आदमी शेर से ज्यादा शक्तिशाली है।
शेर ने मुस्कराते हुए कहा- इतनी जल्दी नतीजे पर आने की ज़रूरत नहीं है। अगर शेर मूर्ति बनाना जानता तो इस मूर्ति में शेर की जगह आदमी होता और आदमी की जगह शेर।
शेर की बात सुन कर आदमी कुछ न बोल सका और वे दोनों आगे का सफर तय करने के लिए चल पड़े।
हमे बिना सोचे समझे किसी नतीजे पर नहीं पहुचना चाहिए। सच्चाई जानने के बाद ही बोलना चाहिए
14. बुद्धिमान शेर | Moral Story in Hindi
एक बार एक जंगल में एक शेर रहता था। वह उस जंगल का राजा था। एक दिन उसे खबर मिली कि पास के जंगल का शेर उसके जंगल में हमला करने वाला है।
युद्ध होने जा रहा था इसलिए उसने जानवरों की एक बैठक बुलाई। राजा शेर अपने सभी मंत्रियों के साथ युद्ध की योजना बनाने लगा।
उसका एक मंत्री बोला- महाराज, हमें युद्ध में अपने साथ गधे और खरगोश को नहीं ले जाना चाहिए। ये दोनों किसी काम के नहीं हैं।
गधा बहुत ही मूर्ख है और खरगोश बहुत अधिक डरपोक। इस पर शेर ने कहा- नहीं, ऐसा नहीं है, दोनों ही हमारे काम आ सकते हैं।
गधे के पास मुझसे भी ज्यादा बुलंद आवाज़ है। वह हमारी ओर से युद्ध की घोषणा कर सकता है। दूसरी ओर खरगोश बहुत तेज भागता है वह हमारे लिए संदेश ले जाने का काम कर सकता है।
हमे लोगों की योग्यता के अनुसार काम लेना आना चाहिए। कभी भी किसी को छोटा नहीं समझना चाहिये।
15. शेर और चूहा | Moral Story in Hindi
एक बार एक शेर सो रहा होता है और एक चूहा उसके ऊपर चढ़ के उसकी नींद को भटका देता है।
शेर उसे गुस्से में पकड़ लेता है और उसे खाने लगता है तो चूहा उसे कहता है की आप अगर मुझे छोड़ दोगे तो में आपकी किसी दिन मदद जरूर करूँगा।
यह सुनके शेर हँसता है और उसे छोड़ देता है।
कुछ दिन बाद कुछ शिकारी शेर को जाल में कैद कर लेते हैं और शेर ज़ोर-ज़ोर से दहाड़कर मदद के लिए बुलाता है। चूहा शेर की दहाड़ सुनकर समझ जाता है की शेर किसी खतरे में है।
चूहा भागता हुआ शेर के पास आता है और शेर के जाल को काट के शेर को आज़ाद कर देता है। इस तरह वह छोटा सा चूहा शेर के काम आता है। शेर ने चूहे को धन्यवाद बोला और कहा की मै गलत था जो तुम्हे छोटा समझकर मजाक उड़ा रहा था।
हमे किसी को अपने से छोटा नहीं समझना चाहिए। मुसीबत में कब किसकी जरुरत पड़ जाये इसलिए हमे किसी का मजाक नहीं उड़ाना चाहिए।
16. सुई देने वाली पेड़ | Short Stories in Hindi
एक जंगल के पास दो भाई रहा करते थे। बड़ा भाई था वह बहुत ही ख़राब बर्ताव करता था छोटे भाई के साथ। वह प्रतिदिन छोटे भाई का सब खाना ख लेता था और छोटे भाई के नए कपड़े भी खुद पहन लेता था।
एक दिन बड़े भाई ने सोचा की वो पास के जंगल में जाकर कुछ लकड़ियाँ लायेगा जिसे बाद में बाज़ार में बेचकर कुछ पैसे कमाएगा।
वह जंगल जाकर बहुत से पेड़ काट डाले, और ऐसे ही एक के बाद एक पेड़ काटते हुए वह एक जादुई पेड़ के पास पंहुचा।
जैसे वह उस पेड़ को काटने लगा तो पेड़ ने कहा- कृपया मेरी शाखाएं मत काटो। अगर तुम मुझे छोड़ दो तो मैं तुम्हें एक सुनहरा सेव फल दूंगा। वह उस समय सहमत हो गया, लेकिन कुछ देर बाद उसके मन में लालच जागृत हो गया। उसने पेड़ को धमकी दी कि अगर उसने उसे ज्यादा सेब नहीं दिया तो वह पूरा धड़ काट देगा।
यह सुनकर जादुई पेड़ ने सेव देने की बजाय उसके ऊपर सैकड़ों सुइयों की बौछार कर दी। इससे बड़े भाई दर्द के मारे जमीन पर लेटे रोने लगा।
अब दिन धीरे-धीरे ढलने लगा, वही छोटे भाई को चिंता होने लगी इसलिए वह अपने बड़े भाई की तलाश करते हुए जंगल में आ पंहुचा। उसने उस पेड़ के पास बड़े भाई को दर्द में पड़ा हुआ पाया, जिसके शरीर पर सैकड़ों सुई चुभी थी। उसके मन में दया आई, वह अपने भाई के पास पहुंचकर, धीरे-धीरे हर सुई को प्यार से हटा दिया।
ये सभी बड़ा भाई देख रहा था और उसे अपने आप पर गुस्सा आ रहा था। अब बड़े भाई ने उसके साथ बुरा बर्ताव करने के लिए छोटे भाई से माफी मांगी और बेहतर होने का वादा किया।
पेड़ ने बड़े भाई के दिल में आए बदलाव को देखा और उन्हें वह ढेर सारा सुनहरा सेव दिया जिसे लेकर दोनों भाई खुशी खुशी घर चले गए।
इस कहानी से हमें ये सीख मिलती है की हमें दयालु और शालीन बनना चाहिए, क्योंकि ऐसे लोगों को हमेशा आदर और पुरस्कृत किया जाता है।
17. दो मेंढ़कों की कहानी | Short Hindi Story
एक बार मेंढकों का एक समूह पानी की तलाश में जंगल में घूम रहा था। तभी अचानक समूह में दो मेंढक गलती से एक गहरे गड्ढे में गिर गए। दल के दूसरे मेंढक गड्ढे में अपने दोस्तों के लिए चिंतित थे। गड्ढा कितना गहरा था, यह देखकर उन्होंने दो मेंढकों से कहा कि गहरे गड्ढे से बचने का कोई रास्ता नहीं है और कोशिश करने का कोई मतलब नहीं है।
वे लगातार उन्हें हतोत्साहित करते रहे क्योंकि दो मेंढक गड्ढे से बाहर कूदने की कोशिश कर रहे थे। वो दोनों जितनी भी कोशिश करते लेकिन काफ़ी सफल नहीं हो पाते।
जल्द ही, दो मेंढक में से एक ने दूसरे मेंढकों पर विश्वास करना शुरू कर दिया कि वे कभी भी गड्ढे से नहीं निकल पायेगा और अंततः हार मान लेने के बाद उसकी मृत्यु हो जाती है।
दूसरा मेंढक अपनी कोशिश जारी रखता है और आखिर में इतनी ऊंची छलांग लगाता है कि वह गड्ढे से बच निकलता है। यह देख समूह के अन्य मेंढक चौंक जाते हैं और आश्चर्य से देखते हैं की उसने यह कैसे कर लिया।
दोनों में अंतर सिर्फ इतना था की दूसरा मेंढक बहरा था और समूह का हतोत्साह नहीं सुन सकता था। वह सोच रहा था कि समूह के सभी मेंढक उसके इस कोशिश पर खुश हो रहे हैं और उसे कूदने के लिए उत्साहित कर रहे हैं।
इस कहानी से हमें ये सीख मिलती है की दूसरों की राय आपको तभी प्रभावित करेगी जब आप उस पर विश्वास करेंगे, बेहतर इसी में है की आप खुद पर ज़्यादा विश्वास करें, सफलता आपके कदम चूमेगी।
18. मूर्ख गधा | Short Stories in Hindi
एक नमक बेचने वाला रोज अपने गधे पर नमक की थैली लेकर बाजार जाता था। रास्ते में उन्हें एक नदी पार करना पड़ता था। एक दिन नदी पार करते समय, गधा अचानक नदी में गिर गया और नमक की थैली भी पानी में गिर गई। चूँकि नमक से भरा थैला पानी में घुल गया और इसलिए थैला ले जाने के लिए बहुत हल्का हो गया।
इसकी वजह से गधा बहुत ही खुश था। अब फिर गधा रोज वही चाल चलने लगा, इससे नमक बेचने वाले को काफ़ी नुक़सान उठाना पड़ रहा था।
नमक बेचने वाले को गधे की चाल समझ में आ गई और उसने उसे सबक सीखाने का फैसला किया। अगले दिन उसने गधे पर एक रुई से भरा थैला लाद दिया।
अब गधे ने फिर से वही चाल चली। उसे उम्मीद थी कि पानी में डूबने से रुई का थैला और भी हल्का हो जाएगा।
लेकिन रुई गीला होने पर और भी बहुत ज्यादा वजन हो गया और गधे को नुकसान उठाना पड़ा। गधे ने इससे एक सबक सीखा और उस दिन के बाद उसने कोई चाल नहीं चली। अब नमक बेचने वाला खुशी-खुशी अपना नमक बेचकर आता और बाज़ार से गधे के लिए भी रोज कुछ ना कुछ खाने को लेता था।
इस कहानी से हमें ये सिख मिलती है की भाग्य हमेशा साथ नहीं देता है, हमेशा हमें अपने बुद्धि का भी इस्तमाल करना चाहिए।
19. लोमड़ी और अंगूर | Short Hindi Story
बहुत दिनों पहले की बात है, एक बार एक जंगल में एक लोमड़ी को बहुत भूख लगी। उसने पूरी जंगल में छान मारा लेकिन उसे कहीं पर भी खाने को कुछ भी नहीं मिला। इतनी मेहनत से खोज करने के बाद भी, उसे कुछ ऐसा नहीं मिला जिसे वह खा सके।
अंत में जैसे ही उसका पेट गड़गड़ाहट हुआ, वह एक किसान की दीवार से टकरा गया। दीवार के शीर्ष पर पहुँचकर, उसने अपने सामने बहुत से बड़े, रसीले अंगूरों को देखा। वो सभी अंगूर दिखने में काफ़ी ताज़े और सुंदर थे। लोमड़ी को ऐसा प्रतीत हो रहा था कि वे खाने के लिए तैयार हैं।
अंगूर तक पहुँचने के लिए लोमड़ी को हवा में ऊंची छलांग लगानी पड़ी। कूदते ही उसने अंगूर पकड़ने के लिए अपना मुंह खोला, लेकिन वह चूक गया। लोमड़ी ने फिर कोशिश की लेकिन फिर चूक गया।
उसने कुछ और बार कोशिश की लेकिन असफल रहा।
अंत में, लोमड़ी ने फैसला किया कि वो अब और कोशिश नहीं कर सकता है और उसे घर चले जाना चाहिए। जब वह चला गया, तो वह मन ही मन बुदबुदाया, मुझे यकीन है कि अंगूर वैसे भी खट्टे थे।
इस कहानी से हमें ये सीख मिलती है लालच नहीं करना चाहिए और जो हमारे पास नहीं है उसका कभी तिरस्कार ना करें।
20. सुनहरी कुल्हाड़ी | Short Stories in Hindi
एक समय की बात है जंगल के पास एक लकड़हारा रहता था। वो जंगल में लकड़ी इकठ्ठा करता था और उन्हें पास के बाज़ार में बेचता था कुछ पैसों के लिए।
एक दिन की बात है वो एक पेड़ काट रहा था, तभी हुआ ये की गलती से उसकी कुल्हाड़ी पास की एक नदी में गिर गई। नदी बहुत ज्यादा गहरी थी और वास्तव में तेजी से बह रही थी। उसने बहुत प्रयत्न किया अपने कुल्हाड़ी को खोजने की लेकिन उसे वो वहां नहीं मिली। अब उसे लगा की उसने कुल्हाड़ी खो दी है, वही दुखी होकर वो नदी के किनारे बैठकर रोने लगा।
उसके रोने की आवाज सुनकर नदी के भगवान उठे और उस लकड़हारे से पूछा कि क्या हुआ। लकड़हारा ने उन्हें अपनी दुखद कहानी बताई। नदी के भगवान को उस लकड़हारे के ऊपर दया आई और वो उसकी मेहनत और सच्चाई देखकर उसकी मदद करने की पेशकश की।
वो नदी में गायब हो गए और एक सुनहरी कुल्हाड़ी वापस लाया, लेकिन लकड़हारे ने कहा कि यह उसका नहीं है. वो फिर से गायब हो गए और अब की बार उन्होंने चांदी की कुल्हाड़ी लेकर वापस आये, लेकिन इस बार भी लकड़हारे ने कहा कि ये कुल्हाड़ी उसका भी नहीं है।
अब नदी के भगवान पानी में फिर से गायब हो गए और अब की बार वो एक लोहे की कुल्हाड़ी के साथ वापस आ गए – लकड़ी का कुल्हाड़ी देखकर लकड़हारा मुस्कुराया और कहा कि यह उसकी कुल्हाड़ी है।
नदी के भगवान ने लकड़हारे की ईमानदारी से प्रभावित होकर उसे सोने और चांदी की दोनों कुल्हाड़ियों से भेंट किया।
इस कहानी से हमें ये सीख मिलती है की ईमानदारी सर्वोत्तम नीति है।
निष्कर्ष
इस आर्टिकल में हमने छोटे बच्चों की कहानी Moral Story in Hindi | Hindi Rochak Kahani | Short Stories in Hindi के बारे में जाना। हमें उम्मीद है कि आपको यह जानकारी अच्छी लगी होगी। इस लेख के बारे में अपने विचार या सुझाव हमें बताये। इसी तरह के और आर्टिकल पढ़ते रहने के लिए हमारे वेबसाइट और सोशल मीडिया यूट्यूब, टेलीग्राम, फेसबुक, इन्स्टाग्राम और ट्विटर पर फॉलो करे।