अक्सर विद्यार्थियों को परीक्षा में भ्रष्टाचार पर निबंध (Corruption Essay in Hindi) लिखने के लिए पूछा जाता है। इसलिए इस लेख के माध्यम से भ्रष्टाचार के प्रकारों और इससे होने वाले दुष्प्रभावों के बारे में विस्तारपूर्वक जानने का प्रयास करेंगे।
भ्रष्टाचार गैरकानूनी, आपराधिक गतिविधि या घूसखोरी का ही एक रूप है। यह किसी व्यक्ति अथवा संस्थान द्वारा किए गए गलत कामों को प्रदर्शित करता है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि भ्रष्टाचार दूसरों के अधिकारों और विशेषाधिकारों का हनन करता है। इसके अलावा, भ्रष्टाचार में मुख्य रूप से रिश्वत लेना या घोटाले जैसी दुष्प्रवृत्तियाँ शामिल हैं।
भ्रष्टाचार पर निबंध (Corruption Essay in Hindi): 300 शब्दों में
प्रस्तावना -भ्रष्टाचार एक ऐसा विषैला तत्व है, जो देश के अन्दर बहुत गहराई तक अपने जड़े स्थापित कर चुका है। यह समाज और राष्ट्र की प्रगति में बाधा उत्पन्न करता है। भ्रष्टाचार हर जगह फैला हुआ है, जैसे कि – राजनीति, प्रशासन, शिक्षा, स्वास्थ्य, व्यवसाय और यहां तक कि निजी जीवन भी इससे अछूता नही है।
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जब कोई व्यक्ति या संस्था व्यक्तिगत लाभ प्राप्त करने के उद्देश्य से अपने पद या शक्ति का गलत इस्तेमाल करती है, तो उसे भ्रष्टाचार कहा जाता है। यह समाज की नैतिक और आदर्श प्रणाली को कमजोर करने के साथ आम नागरिकों में अविश्वास की भावना को जन्म देता है।
सरल भाषा में भ्रष्टाचार का अर्थ – भ्रष्टाचार को सरल शब्दों में कहें तो वह आचरण जो किसी भी तरह के अनैतिक या अनुचित कार्यों में शामिल हो। भ्रष्टाचार विभिन्न रूपों में पाया जाता है, जैसे कि सरकारी निकायों में पैसे देकर किसी काम को कराना, चुनाव में धांधली, हफ्ता वसूली, झूठी गवाही, परीक्षा में नकल, पैसे लेकर रिपोर्ट छापना, पैसे लेकर वोट देना और न्यायाधीशों द्वारा पक्षपातपूर्ण निर्णय आदि सभी भ्रष्टाचार के अंतर्गत आते हैं। ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल (टीआई) की रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2023 में भ्रष्टाचार धारणा सूचकांक (सीपीआई) में भारत 180 देशों में 93वें स्थान पर रहा।
भ्रष्टाचार का लोगों और सार्वजनिक जीवन पर प्रभाव – भ्रष्टाचार में लिप्त संस्था द्वारा दी जाने वाली सेवा की गुणवत्ता बहुत ज्यादा ख़राब होती है। जहाँ पर सही गुणवत्ता की मांग करने के लिए कुछ राशि का भुगतान करना पड़ता है। ऐसी स्थिति कई क्षेत्रों में देखने को मिलती है। जैसे कि बिजली विभाग, नगर पालिका, राहत कोष के वितरण प्रणाली आदि जगहों पर स्पष्तः देखा जा सकता है।
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इनके द्वरा दी जा रही बदहाल सेवाओं का प्रमुख कारण इसमें शामिल भ्रष्ट अधिकारीयों और ठेकेदारों द्वारा गलत तरीके से धन अर्जित करना है। उचित न्याय न मिलने के कारण यह भ्रष्टाचार न्याय प्रणाली को अनुचित न्याय की ओर ले जाता है। जिसका खामियाजा निर्दोष लोगों को भुगतना पड़ता है। ऐसे बहुत से घटना हमारे आसपास घटित हुई जिसमे पीड़ित को उचित न्याय नही मिल सका है।
उपसंहार – भ्रष्टाचार देश के नागरिकों और उनके जीवन शैली पर सबसे घातक प्रहार है। भ्रष्टाचार में शामिल लोग अपने स्वार्थ की पूर्ति के लिए देश की छवि को धूमिल कर रहें हैं। इस विकट समस्या से निपटने के लिए मजबूत इच्छाशक्ति, कठोर कानून, और नागरिकों में जागरूकता की आवश्यकता है। जागरूकता फ़ैलाने के उद्देश्य से ही 9 दिसम्बर को अंतर्राष्ट्रीय भ्रष्टाचार विरोधी दिवस के रूप में मनाया जाता है।
भ्रष्टाचार पर निबंध (Corruption Essay in Hindi): 500 शब्दों में
प्रस्तावना – आज के समय में भ्रष्टाचार एक वैश्विक समस्या का रूप धारण कर चुका है। भ्रष्टाचार को सरल शब्दों में कहे तो वह आचरण जो किसी भी तरह के अनैतिक या अनुचित कृत्य में शामिल हो। भ्रष्टाचार कई तरह से किया जाता है। अधिकांश देखा गया है कि ऊँचे-ऊँचे पदों पर बैठे लोग भ्रष्टाचार में ज्यादा संलिप्त पाए जाते हैं। भ्रष्टाचार एक तरह का स्वभाव बन गया है, जो लोगो के लालची और मतलबी व्यवहार को संदर्भित करता है।
भ्रष्टाचार का समाज पर प्रभाव – भ्रष्टाचार में शामिल अधिकारीयों के प्रति लोगों के मन में नकारात्मक भाव पैदा होने लगती है। जिसके कारण लोग इन अधिकारीयों की अवहेलना करने लगते हैं। अवहेलना की वजह से अधिकारीयों के लिए समाज में अविश्वास बढ़ता है। जिससे अक्सर देखने को मिलता है कि निम्न श्रेणी के अधिकारी भी उच्च श्रेणी के अधिकारियों का अनादर करने लगता है। फलतः निचले स्तर का अधिकारी अपने से बड़े अधिकारी द्वारा जारी किये गए आदेशो का पालन नही करता है।
सभी लोग अपने जीवन स्तर को बेहतर बनाना चाहते हैं। जनता अपने नेता से सम्मान की चाह रखते हुए चुनाव के दौरान अपना बहुमूल्य वोट डालने जाता है। सामाजिक जीवन में सम्मान अत्यंत महत्वपूर्ण है। ऊँचे पदों पर बैठे अधिकांश राजनेता भ्रष्टाचार में लिप्त पाए जाते हैं। जिस कारण ईमानदार और कर्मठ लोग इन विशेष पदों को भ्रष्ट समझकर इनसे नफरत करने लगते हैं। जिससे निष्ठावान लोग भ्रष्टाचार से जुड़े पदों में शामिल होने से परहेज करने लगता है।
भ्रष्टाचार का अर्थव्यवस्था पर प्रभाव – सभी सरकारी तंत्रों का भ्रष्टाचार में लिप्त होने की वजह से विदेशी निवेशक विकासशील देशों में व्यापार करने या इन देशों में निवेश करने से कतराते हैं। इन निवेशकों को पता होता है कि भ्रष्टाचार में डूबा हुआ अधिकारी उनके उद्योगों या परियोजनाओं को बिना रिश्वत लिए मंजूरी प्रदान नही करेगा, लाभ कमाने के उद्देश्य से ये भ्रष्ट अधिकारी जान-बूझ कर इस प्रक्रिया में अड़चन पैदा करेगा।
किसी भी देश के विकास में उद्योगों का योगदान बहुत महतवपूर्ण होता है। यदि निवेशकों को उचित सड़क, पानी और बिजली की व्यवस्था नजर नहीं आती, तो ऐसे क्षेत्र में कंपनियांँ नए उद्योग स्थापित नहीं करना चाहती हैं, जिस कारण उस क्षेत्र की आर्थिक प्रगति में बाधा उत्पन्न होती है। नए उद्योग स्थापित नहीं होने की वजह से विकास की गति धीमी हो जाती है।
भ्रष्टाचार की मुख्य वजह – सामाजिक भेदभाव, आर्थिक कमजोरी, मान-सम्मान और पद-प्रतिष्ठा के लोभ के कारण भी व्यक्ति खुद को भ्रष्ट कर लेता है। समाज में हीनता और असमानता से पीड़ित व्यक्ति भी भ्रष्टाचार में लिप्त होने के लिए मजबूर हो जाता है। इसके साथ ही घूसखोरी और राजनीति में परिवारवाद भी भ्रष्टाचार की मुख्य वजह है।
उपसंहार – भ्रष्टाचार समाज के लिए जहर के समान है, भ्रष्टाचार आर्थिक और राजनीतिक संस्थाओं को कमजोर करने के साथ-साथ समाज में भेदभाव, अविश्वास, असमानता और अन्याय को बढ़ावा देता है। यह किसी भी राष्ट्र की उन्नति में रुकावट पैदा करता है। हालांकि, इस समस्या की समाधान के लिए लोगों में जागरूकता, ईमानदारी, पारदर्शिता और मजबूत कानूनी उपायों की आवश्यकता है। हमें अपने जीवन में नैतिकता, ईमानदारी और उत्कृष्ट आदर्शों को अपनाकर, एक बेहतर और भ्रष्टाचार-मुक्त समाज बनाने की दिशा में अग्रसर होना चाहिए। भ्रष्टाचार का निवारण के लिए देश के प्रत्येक नागरिक को अपना योगदान देना चाहिए।
भ्रष्टाचार पर निबंध (Corruption Essay in Hindi): 1000 शब्द
प्रस्तावना – भ्रष्टाचार विभिन्न कारकों (सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक) में निहित होता है। आज भारतीय राजनीतिक और प्रशासनिक शासन प्रणाली पूरी तरह से भ्रष्टाचार के गिरफ्त में आ चुका है। हमारा संविधान सत्ताधारी राजनेताओं और प्रशासनिक अधिकारियों को कुछ विशेष शक्तियाँ प्रदान करता है। उन्हें शक्ति प्रदान करने के पीछे का मुख्य कारण उन्हें राष्ट्रहित में जनता की सेवा करने के लिए सुविधाकर्ता के रूप में काम करने के लिए सक्षम बनाना था।
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भारत में भ्रष्टाचार को एक सामान्य प्रचलन के रूप में देखा जाता है। यह हम सभी के लिए परेशान करने वाली बात है क्योकि आज का समाज इस भ्रष्टाचार को सामान्य घटना समझकर पूर्ण रूप से स्वीकार कर लिया है। अक्सर सुनने को मिलता है कि “हर कोई ऐसा ही करता है” ऐसे वक्तव्य लोगों को नैतिक रूप से भ्रष्टाचार में शामिल होने के लिए प्रेरित करता है। अब भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाना पहले की अपेक्षा बहुत कम हो गयी है क्योकि लोगों ने इसे आम कृत्य और स्वाभाविक मान लिया है।
भारत में भ्रष्टाचार की स्थिति – भारत में भ्रष्टाचार की जड़ें व्यापक रूप से फ़ैल चुका है। यह दीमक की तरह देश को निरंतर खोखला किये जा रहा है। ऐसा कोई क्षेत्र नही बचा है जो इसके दुष्प्रभाव से अछूता हो। राजनीति तो भ्रष्टाचार का मुख्य केंद्र बनकर रह गयी है। एक समय था जब राजनीति को सेवा भाव के रूप में देखा जाता था परन्तु आज यह पैसे अर्जित का साधन बन चुका है।
हर क्षेत्र में भ्रष्टाचार का विस्तार होता जा रहा है। जमाखोरी अर्थात जरुरी सामानों का भण्डारण करना और बाद में चीजों के दाम बढ़ाकर बेचना। अपने स्वार्थ सिद्ध करने के लिए चिकित्सा जैसे क्षेत्र में बिना आवश्यकता के ऑपरेशन करके पैसे वसूलना, वोट प्राप्त करने के लिए शराब और पैसे बांटना, नौकरी पाने से लेकर प्रमोशन तक तथा अपने पसंदीदा क्षेत्र में ट्रांसफर कराने, अब तो शैक्षणिक संस्थान जैसे पवित्र विभाग भी इस भ्रष्टाचार से नही बच पाया है। प्रवेश से लेकर सभी तरह की शिक्षा प्रक्रिया में भ्रष्टाचार देखने को मिलता है। अगर समय के साथ भ्रष्टाचार का समूल नाश नही किया गया तो देश को इसका भयंकर परिणाम भुगतने होंगे।
भ्रष्टाचार के प्रमुख कारण – आज हमारा देश और पूरी दुनिया भ्रष्टाचार जैसे गंभीर समस्या से जूझ रही है। जिसके प्रमुख कारण भिन्न-भिन्न हो सकते हैं। उन सभी पहलुओं के बारे में विस्तारपूर्वक चर्चा करेंगे जो भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने में सहायक है।
- कमज़ोर संस्थाएँ और अप्रभावी कानूनी प्रक्रिया – कानूनों और नियमों को लागू करने वाले कई सरकारी संस्थाएं या तो कमजोर हैं या फिर परिस्थिति के सामने समझौता करने लगते हैं। इसमें जांच एजेंसियाँ, न्यायपालिका और कानून प्रवर्तन एजेंसियाँ जैसे बड़े-बड़े नामजद संस्थाएं शामिल है। कमजोर हो चुके संस्थाएं भ्रष्टाचार में लिप्त लोगों को जवाबदेह ठहराने में असफल हो जाते हैं। इसी निष्पक्ष जांच के अभाव के चलते भ्रष्टाचार को और अधिक बढ़ावा मिलता है। भ्रष्ट व्यक्तियों को उचित सजा न मिल पाने के कारण उनका मनोबल बढ़ता है।
- पारदर्शिता की कमी – ऐसे कई प्रकरण हैं जो सार्वजानिक होने से पहले ही दबा दिए जाते हैं। सरकारी प्रक्रियाओं में कमजोरी की वजह से निर्णय लेने और सार्वजनिक प्रशासन में पारदर्शिता की कमी से भ्रष्टाचार फलने-फूलने लगता है। सभी सरकारी तथा निजी संस्थाओं के कार्यों और निर्णयों को सार्वजानिक पारदर्शिता के दायरे में लाना अत्यंत आवश्यक है। इससे अधिकारीयों और कर्मचारियों के अन्दर जोखिम का डर बना रहेगा और भ्रष्ट गतिविधियों में शामिल नही हो पाएंगे।
- राजनीतिक हस्तक्षेप – प्रशासनिक मामलों में राजनीतिक हस्तक्षेप नही किया जाना चाहिए। कुछ भ्रष्ट राजनेताओं की वजह से सरकारी संस्थानों को अपनी ईमानदारी तथा कर्तव्यनिष्ठा से समझौता करने को विवश होना पड़ता है। ये राजनेता अपने व्यक्तिगत स्वार्थ की पूर्ति करने या पार्टी को लाभ पहुँचाने के उद्देश्य से ईमानदार अधिकारियों पर भ्रष्ट गतिविधियों में संलग्न होने के लिए दबाव डालते हैं।
भ्रष्टाचार पर नियंत्रण के उपाय – भ्रष्टाचार एक संक्रामक रोग की भांति समय के साथ निरंतर बढ़ता ही जा रहा है। देश के हर क्षेत्र में अपने जड़े जमा चुके इस भ्रष्टाचार के निवारण के लिए कठोर सजा के प्रावधान लागू किये जाना चाहिए। आज भ्रष्टाचार की ऐसी स्थिति निर्मित हो चुकी है कि यदि कोई भ्रष्ट व्यक्ति रिश्वत लेते पकड़ा भी जाता है तो वह रिश्वत देकर छूट भी जाता है।
जब तक इस तरह के अपराधिक गतिविधियों में शामिल व्यक्ति को कड़ी सजा नही दिया जायेगा तब तक इस बीमारी को रोक पाना असंभव है। सरकारी तथा निजी संस्थाओं के साथ-साथ नागरिकों को भी स्वयं के अन्दर नैतिकता और ईमानदारी विकसित करनी होगी। तभी हम आने वाली पीढ़ी को स्वच्छ आचरण और सकारात्मकता का संदेश दे पाएंगे।
भारत का भ्रष्टाचार में स्थान तथा प्रक्रिया – सरकारी संस्थानों या निजी कार्यालयों में भ्रष्टाचार बहुतायत रूप में देखने को मिलता है। वैसे तो भ्रष्टाचार के विभिन्न प्रकार हैं जिनमें से रिश्वतखोरी को सबसे आम कृत्यों में से एक माना जाता है। जब कोई भ्रष्ट व्यक्ति अपने व्यक्तिगत लाभ की आपूर्ति के लिए किसी अन्य व्यक्ति से अनुचित एहसान या उपहार ग्रहण करता है तो इस घृणित कृत्य को रिश्वतखोरी कहते हैं।
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भ्रष्टाचार किसी भी सार्वजनिक और निजी कार्यालयों समेत कई क्षेत्रों में पाया जाता है। अक्सर ख़बरों के माध्यम से यह देखने और सुनने को मिलता है कि सत्ताधारी व्यक्ति या उच्च स्तर के पदों पर काबिज अधिकांश लोग भ्रष्ट कृत्यों में ज्यादा शामिल पाये जाते हैं। रिश्वतखोरी सबसे भ्रष्ट प्रथाओं में से एक है जहां व्यक्ति अपने स्वार्थ और लालच में इस कृत्य को अंजाम देता है।
अब तक के सबसे बड़े भ्रष्टाचार के घोटालों के नाम – भ्रष्टाचार एक विशालकाय दानव है जो देश के अर्थव्यवस्था और सामान्य जन-जीवन को प्रभावित कर काफी नुकसान पहुंचा रहा है। आजादी के बाद से देश में कई छोटे बड़े घोटाले हुए हैं जिनमें से कुछ चर्चित नामों को निचे तालिका में दर्शाया गया है।
घोटाला | राशि (रुपये में) |
सत्यम घोटाला | 7000 करोड़ रुपये |
अनाज घोटाला | 2 लाख करोड़ रुपए (अनुमानित) |
2जी स्पेक्ट्रम घोटाला | 1 लाख 67 हजार करोड़ रुपये |
बोफोर्स घोटाला | 64 करोड़ रुपये |
कॉमनवेल्थ गेम्स घोटाला | 70 हजार करोड़ रुपये |
यूरिया घोटाला | 133 करोड़ रुपये |
कोयला खदान आवंटन घोटाला | 12 लाख करोड़ रुपये |
शेयर बाजार घोटाला | 4000 करोड़ रुपये |
स्टैंप पेपर घोटाला | 43 हजार करोड़ रुपये |
चारा घोटाला | 950 करोड़ रुपये |
उपसंहार – भ्रष्टाचार किसी संगठन में निष्पक्ष भाव से काम करने में बाधा उत्पन्न करने के साथ-साथ देश की अर्थव्यवस्था को कमजोर करती है। इसके साथ ही यह भ्रष्टाचार प्रदान की जाने वाली विभिन्न सेवाओं की दक्षता को भी प्रभावित करता है। भ्रष्टाचार के निवारण के लिए सरकार को ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है। मौजूदा कानूनों को प्रभावी ढंग से लागू किया जाना चाहिए और यदि आवश्यकता पड़े तो नए सख्त कानून भी बनाये जाने चाहिए।
किसी भी तरह की अनुचित लेन-देन की रोकथाम के लिए कार्यस्थलों पर कड़ी निगरानी करते हुए पारदर्शिता को बढ़ावा देना चाहिए। भ्रष्टाचार को रोके बिना राष्ट्र तथा समाज में बदलाव लाना लगभग असंभव है। भ्रष्टाचार के इन छोटे-छोटे रूपों को खत्म करने से ही समाज में समानता और खुशहाली लाया जा सकता है।
अधिक पूछे जाने वाले सवाल
भ्रष्टाचार किसे कहते हैं?
अगर ध्यान से इस भ्रष्टाचार शब्द को पढ़ें तो इस शब्द में ही इसके अर्थ दिखाई पड़ता है। दो शब्दों के मेल से भ्रष्टाचार शब्द बना है। भ्रष्ट + आचार = भ्रष्टाचार, जिसमें भ्रष्ट का तात्पर्य बिगड़ा या खराब से और आचार का मतलब आचरण से है। सरल भाषा में समझे तो वह आचरण जो किसी अनुचित या अनैतिक कार्य में संलग्न हो उसे भ्रष्टाचार कहते हैं।
भ्रष्टाचार किन-किन रूपों में पाया जाता है?
भ्रष्टाचार के विभिन्न रूप मौजूद है, इसे किसी एक रूप में परिभाषित नही किया जा सकता है। आवश्यक सामानों की कालाबाजारी कर ऊंचे दामों में बेचना, किसी पीड़ित व असहाय व्यक्ति से रिश्वत लेकर काम करना, पक्षपाती होकर न्याय करना, टैक्स चोरी करना, परीक्षा में नक़ल कराना आदि सभी भ्रष्टाचार के भिन्न-भिन्न रूप हैं।
- आखिरी अपडेट: 4 मिनट पहले
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