हर राष्ट्र की नींव उसके संविधान पर टिकी होती है, और भारत का संविधान (Indian Constitution) इसका सबसे जीवंत उदाहरण है। 26 जनवरी 1950 को लागू हुए इस ऐतिहासिक दस्तावेज़ ने न केवल भारत को एक संप्रभु और लोकतांत्रिक गणराज्य के रूप में स्थापित किया, बल्कि करोड़ों भारतीयों के सपनों और अधिकारों को कानूनी मान्यता भी दी।
विश्व में सबसे पहले संविधान का विचार ब्रिटेन के सर “हेनरी मैन” ने दिया था। इसलिए ब्रिटेन के संविधान को संविधानों का जनक कहते है। भारत में सर्वप्रथम संविधान का विचार मान्वेद्र नाथ राय ने दिया था और भारतीय संविधान को जनता तक लाने का श्रेय पं. जवाहर लाल नेहरू को जाता है।
भारत का संविधान हिंदी में अर्थ (Indian Constitution)
भारत का संविधान (Indian Constitution), जो विश्व का सबसे लंबा और विस्तृत लिखित संविधान है, हमारे देश की विविधता, समृद्ध सांस्कृतिक विरासत, और लोकतांत्रिक मूल्यों का प्रतीक है। इसे केवल कानून का संग्रह नहीं, बल्कि एक ऐसा आदर्श ग्रंथ माना जाता है जो हर नागरिक को समानता, स्वतंत्रता, और न्याय की गारंटी देता है।
संविधान का शाब्दिक अर्थ है वह दस्तावेज जो देश की शासन व्यवस्था को नियंत्रित करता है। यह एक एसा नियम और कानूनों का संकलन है जो यह सुनिश्चित करता है की देश में शासन लोकतान्त्रिक,न्यायपूर्ण और संगठित तरीके से चले।
भारतीय संविधान को सरकारी संगवाद कहा तथा इस संविधान में परिवर्तन के साथ चयन के भी कला है।
भारतीय संविधान (Indian Constitution) में अनुच्छेद
भारतीय संविधान (Indian Constitution पूरी तरह से लिखित है और इसमें 395 अनुच्छेद, 22 भाग और 8 अनुसूचियां थीं (मूल रूप में)। वर्तमान में संशोधनों के बाद इसमें 470 अनुच्छेद, 25 भाग और 12 अनुसूचियां हैं। इस लेख में हमारे विषय विशेषज्ञों ने भारतीय संविधान (Indian Constitution) के वे सभी अनुच्छेद जो प्रतियोगिता परीक्षा के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है निचे दर्शाया गया है।
भारतीय संविधान में कुल 25 भाग हैं। जो नीचे तालिका के माध्यम से बताया गया है।
भाग | विषय | अनुच्छेद |
भाग I | संघ और उसके राज्य क्षेत्र | अनुच्छेद 1-4 |
भाग II | नागरिकता | अनुच्छेद 5-11 |
भाग III | मौलिक अधिकार | अनुच्छेद 12-35 |
भाग IV | राज्य के निति निर्देशक तत्व | अनुच्छेद 36-51 |
भाग IV (A) | मौलिक कर्तव्य | अनुच्छेद 51 (A) |
भाग V | संघ की कार्यपालिका | अनुच्छेद 52-151 |
भाग VI | राज्य का कार्यपालिका | अनुच्छेद 152-237 |
भाग VII | राज्यों से संबधित पहली अनुसूची | अनुच्छेद 238 (निरस्त) |
भाग VIII | केंद्र शासित प्रदेश | अनुच्छेद 239-242 |
भाग IX | पंचायत | अनुच्छेद 243 (A)-243 (O) |
भाग IX (A) | नगरपालिकाएँ | अनुच्छेद 243 (P)-243 (ZG) |
भाग IX (B) | सहकारी समितियां | अनुच्छेद 243 (ZH)-243 (ZT) |
भाग X | अनुसूचित एवं जनजातीय क्षेत्र | अनुच्छेद 244 |
भाग XI | संघ और राज्यों के बीच संबंध | अनुच्छेद 245-263 |
भाग XII | वित्त, संपत्ति, अनुबंध और मुकदमे | अनुच्छेद 264-300 (A) |
भाग XIII | भारत के राज्यक्षेत्र के भीतर व्यापार, वाणिज्य और समागम | अनुच्छेद 301-307 |
भाग XIV | संघ एवं राज्यों के अधीन सेवाएं | अनुच्छेद 308-323 |
भाग XIV (A) | न्यायाधिकरण | अनुच्छेद 323 (A)-323 (B) |
भाग XV | निर्वाचन आयोग | अनुच्छेद 324-329 |
भाग XVI | कुछ वर्गों से संबंधित विशेष प्रावधान | अनुच्छेद 330-342 |
भाग XVII | राजभाषा | अनुच्छेद 343-351 |
भाग XVIII | आपातकालीन प्रावधान | अनुच्छेद 352-360 |
भाग XIX | प्रकीर्ण | अनुच्छेद 361-367 |
भाग XX | संविधान संशोधन | अनुच्छेद 368 |
भाग XXI | अस्थायी, संक्रमणकालीन और विशेष प्रावधान | अनुच्छेद 369-392 |
भाग XXII | संक्षिप्त शीर्षक, प्रारंभ, हिंदी में आधिकारिक पाठ और निरसन | अनुच्छेद 393-395 |
प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी में भारतीय संविधान के कुछ भागों और उनमें शामिल अनुच्छेदों का सटीक जानकारी बेहद महत्वपूर्ण है। यहां संविधान से अधिकतर पूछे जाने वाले भाग और सम्बंधित अनुच्छेदों का विवरण और याद रखने का ट्रिक बताया गया है जो प्रतियोगिता परीक्षा के लिए उपयोगी हो सकता है।
भाग 1 – संघ एवं उसका राज्य क्षेत्र (अनुच्छेद 1 से 4)
- अनुच्छेद 1 – संघ का नाम और उसके राज्य क्षेत्र।
- अनुच्छेद 2 – भारतीय संघ में नये राज्यों का प्रवेश या स्थापना।
- अनुच्छेद 3 – नये राज्यों का गठन तथा विद्यमान राज्यों के क्षेत्रों, सीमाओं एवं नामों में परिवर्तन।
भाग 2 – नागरिकता (अनुच्छेद 5 से 11)
राज्य में निवास करने वाला वह व्यक्ति, जिसे राज्य की पूर्ण सदस्यता प्राप्त है तथा वह अपने राज्य और संविधान के प्रति पूर्ण आस्था रखता है, नागरिकता कहलाता है। भारत में ब्रिटेन के समान एकल नागरिकता का प्रावधान किया गया है।
- अनुच्छेद 5 – संविधान के प्रारंभ से नागरिकता।
- अनुच्छेद 6 – पाकिस्तान से भारत में प्रवास करने वाले किसी व्यक्ति के नागरिकता के अधिकार।
- अनुच्छेद 8 – भारत के बाहर रहने वाले भारतीय मूल के व्यक्तियों की नागरिकता।
- अनुच्छेद 9 – नागरिकता की समाप्ति।
- अनुच्छेद 10 – नागरिकता के अधिकारों का बना रहना।
- अनुच्छेद 11 – संसद द्वारा नागरिकता के अधिकार का विधि द्वारा विनियमित किया जाना।
भाग 3 – मौलिक अधिकार (अनुच्छेद 12 से 35)
- अनुच्छेद 12 – राज्य की परिभाषा।
- अनुच्छेद 13 – मूल अधिकारों से असंगत तथा अल्पीकरण करने वाली विधियाँ।
मौलिक अधिकार (Fundamental Rights)
मूल भारतीय संविधान (Indian Constitution) जो 26 जनवरी 1950 को लागू हुआ था, उसमें 7 मौलिक अधिकार थे। बाद में इनमें से एक अधिकार (संपत्ति का अधिकार) को संविधान के 44वें संशोधन (1978) द्वारा मौलिक अधिकारों की सूची से हटा दिया गया और इसे एक कानूनी अधिकार बना दिया गया। अब भारतीय संविधान में मौलिक अधिकारों की संख्या 6 है, और इन्हें भाग 3 (अनुच्छेद 12-35) में शामिल किया गया है।
समानता का अधिकार (अनुच्छेद 14 से 18)
- अनुच्छेद 14 – कानून के समक्ष समानता एवं विधियों का समान संरक्षण।
- अनुच्छेद 15 – धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग या जन्म स्थान के आधार पर भेदभाव का प्रतिषेध।
- अनुच्छेद 16 – लोक नियोजन के विषयों में अवसर की समता।
- अनुच्छेद 17 – अस्पृश्यता का अंत।
- अनुच्छेद 18 – उपाधियों का अंत।
स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 19 से 22)
- अनुच्छेद 19 – सभी नागरिकों को अनुच्छेद 19 के अंतर्गत 6 स्वतंत्रताएँ प्रदान किये गये है
- A – वाक् और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता।
- B – शांतिपूर्वक हथियार रहित सम्मलेन का अधिकार।
- C – संघ या यूनियन बनाने की अधिकार।
- D – भारत के राज्यक्षेत्र में अबाध संचरण का अधिकार।
- E – भारत के राज्यक्षेत्र के किसी भी भाग में निवास करने और बसने का अधिकार।
- F – संपत्ति के अधिकार को मूल अधिकार की सूचि से हटा दिया गया है।
- G – आजीविका, व्यसाय या व्यापार करने का अधिकार।
- अनुच्छेद 20 – अपराधों के लिए दोषसिद्धि के संबंध में संरक्षण।
- अनुच्छेद 21 – प्राण एवं दैहिक स्वतंत्रता का संरक्षण।
- अनुच्छेद 21 (A) – शिक्षा का अधिकार।
- अनुच्छेद 22 – गिरफ्तारी और निरोध से संरक्षण।
शोषण के विरुद्ध अधिकार (अनुच्छेद 23 से 24)
- अनुच्छेद 23 – मानव के दुर्व्यापर और बलात् श्रम का प्रतिषेध।
- अनुच्छेद 24 – कारखानों अदि में बालकों (14 वर्ष से कम आयु ) के नियोजन पर प्रतिबंध।
धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 25 से 28)
- अनुच्छेद 25 – अंतःकरण की स्वतंत्रता और धर्म की अबाध रूप से मानने, आचरण और प्रचार-प्रसार की स्वतंत्रता।
- अनुच्छेद 26 – धार्मिक कार्यों के प्रबंधन की स्वतंत्रता।
- अनुच्छेद 27 – किसी विशेष धर्म के प्रचार हेतु कर देने की स्वतंत्रता।
- अनुच्छेद 28 – शिक्षक संस्थानों में किसी प्रकार की धार्मिक शिक्षा का प्रतिषेध।
संस्कृति और शिक्षा संबंधी अधिकार (अनुच्छेद 29 से 30)
- अनुच्छेद 29 – अल्पसंख्यक वर्गों के हितों का संरक्षण।
- अनुच्छेद 30 – अल्पसंख्यकों को शैक्षणिक संस्थाएं स्थापित करने और उनका प्रशासन करने का अधिकार।
संवैधानिक उपचार का अधिकार (अनुच्छेद 32)
- अनुच्छेद 32 – मौलिक अधिकारों के प्रवर्तन के लिए उपाय।
भाग 4- राज्य के नीति निर्देशक तत्व (अनुच्छेद 36 से 51)
- अनुच्छेद 36 – राज्य की परिभाषा।
- अनुच्छेद 37 – राज्य के नीति निर्देशक तत्व का अनुप्रयोग।
- अनुच्छेद 38 – राज्य लोक कल्याण की अभिवृद्धि के लिए सामाजिक व्यवस्था बनाएगा।
- अनुच्छेद 39 – राज्य द्वारा अनुशरणीय कुछ निति तत्त्व।
- अनुच्छेद 39 (A) – समान न्याय और निःशुल्क कानूनी सहायता।
- अनुच्छेद 40 – ग्राम पंचायतों का संगठन।
- अनुच्छेद 41 – काम करने, शिक्षा पाने और कुछ मामलों में सार्वजनिक सहायता पाने का अधिकार।
- अनुच्छेद 42 – प्रसूति सहायता का उपबंध।
- अनुच्छेद 43 – श्रमिकों के लिए जीवन निर्वाह मजदूरी आदि।
- अनुच्छेद 43 (A) – उद्योगों के प्रबंधन में श्रमिकों की भागीदारी।
- अनुच्छेद 44 – समान सिविल संहिता (केवल गोवा में लागू)।
- अनुच्छेद 45 – बच्चों के लिए निःशुल्क और अनिवार्य शिक्षा का प्रावधान।
- अनुच्छेद 46 – अनुसूचित जातियों (एससी), अनुसूचित जनजातियों (एसटी) और ओबीसी के शैक्षिक और आर्थिक हितों को बढ़ावा देना।
- अनुच्छेद 47 – पोषण स्तर और जीवन स्तर को बढ़ाने तथा लोक स्वास्थ्य में सुधार करने का राज्य का कर्तव्य।
- अनुच्छेद 48 – कृषि और पशुपालन का संगठन।
- अनुच्छेद 49 – राष्ट्रीय महत्व के स्मारकों, स्थानों और वस्तुओं का संरक्षण।
- अनुच्छेद 50 – न्यायपालिका का कार्यपालिका से पृथक्करण।
- अनुच्छेद 51 – अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा को बढ़ावा देना।
भाग 4A – मौलिक कर्तव्य (अनुच्छेद 51 A)
मौलिक कर्तव्य को सोवियत संघ (रूस) से अपनाया गया है।मूल कर्तव्य, मूल संविधान में शामिल नहीं था। मूल कर्तव्य को 42वें संशोधन अधिनियम 1976 द्वारा जोड़ा गया जिसमे 10 मूल कर्तव्य शामिल था। परन्तु 86वें संशोधन अधिनियम 2002 द्वारा एक और मूल कर्तव्य सूची में जोड़ा गया। इस प्रकार वर्त्तमान में मौलिक कर्तब्यों की संख्या 11 है।
भाग 5 – संघ (अनुच्छेद 52 से 151)
- अनुच्छेद 52 – भारत का राष्ट्रपति होगा।
- अनुच्छेद 53 – संघ की कार्यकारी शक्ति।
- अनुच्छेद 54 – राष्ट्रपति का निर्वाचन मण्डल।
- अनुच्छेद 55 – निर्वाचन की पद्धति।
- अनुच्छेद 56 – कार्यकाल।
- अनुच्छेद 57 – पुनः नियुक्ति।
- अनुच्छेद 58 – योग्यता।
- अनुच्छेद 59 – शर्ते।
- अनुच्छेद 60 – शपथ।
- अनुच्छेद 61 – राष्ट्रपति पर महाभियोग चलाने की प्रक्रिया।
- अनुच्छेद 63 – भारत का उपराष्ट्रपति।
- अनुच्छेद 64 – उपराष्ट्रपति का राज्य सभा का पदेन अध्यक्ष होना।
- अनुच्छेद 66 – उपराष्ट्रपति का चुनाव।
- अनुच्छेद 72 – राष्ट्रपति क क्षमादान शक्ति।
- अनुच्छेद 74 – मंत्रिपरिषद राष्ट्रपति को सहायता और सलाह देगी।
- अनुच्छेद 76 – भारत के लिए महान्यायवादी।
- अनुच्छेद 77 – सरकार के समस्त कार्य राष्ट्रपति के नाम पर।
- अनुच्छेद 79 – संसद का गठन।
- अनुच्छेद 80 – राज्यसभा की संरचना।
- अनुच्छेद 81 – लोकसभा की संरचना।
- अनुच्छेद 83 – संसद के सदनों की अवधि।
- अनुच्छेद 93 – लोक सभा के अध्यक्ष और उप अध्यक्ष।
- अनुच्छेद 105 – संसद के सदन की शक्तियां, विशेषाधिकार आदि।
- अनुच्छेद 109 – धन विधेयक के संबंध में विशेष प्रक्रिया।
- अनुच्छेद 110 – धन विधेयक की परिभाषा।
- अनुच्छेद 112 – वार्षिक वित्तीय बजट।
- अनुच्छेद 114 – विनियोग विधेयक।
- अनुच्छेद 123 – संसद के अवकाश के दौरान अध्यादेश जारी करने की राष्ट्रपति की शक्तियाँ।
- अनुच्छेद 124 – सर्वोच्च न्यायालय की स्थापना।
- अनुच्छेद 125 – न्यायाधीशों का वेतन।
- अनुच्छेद 126 – कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति।
- अनुच्छेद 127 – तदर्थ न्यायाधीशों की नियुक्ति।
- अनुच्छेद 128 – सर्वोच्च न्यायालय की बैठक में सेवानिवृत्त न्यायाधीश की उपस्थिति।
- अनुच्छेद 129 – सर्वोच्च न्यायालय का अभिलेख न्यायालय होना।
- अनुच्छेद 130 – सर्वोच्च न्यायालय की सीट।
- अनुच्छेद 136 – सर्वोच्च न्यायालय में अपील के लिए विशेष अनुमति।
- अनुच्छेद 137 – सर्वोच्च न्यायालय द्वारा निर्णय या आदेश की समीक्षा।
- अनुच्छेद 141 – भारत के सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय सभी न्यायालयों पर बाध्यकारी होगा।
- अनुच्छेद 148 – भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक।
- अनुच्छेद 149 – सीएजी के कर्तव्य और शक्तियां।
भाग 6 – राज्य (अनुच्छेद 152 से 237)
- अनुच्छेद 153 – राज्यों के राज्यपाल।
- अनुच्छेद 154 – राज्यपाल की कार्यकारी शक्तियां।
- अनुच्छेद 155 – राज्यपाल की नियुक्ति। (राष्ट्रपति द्वारा)
- अनुच्छेद 156 – राज्यपाल की पदावधि।
- अनुच्छेद 157 – योग्यता।
- अनुच्छेद 158 – शर्ते।
- अनुच्छेद 159 – शपथ।
- अनुच्छेद 161 – राज्यपाल की क्षमादान शक्तियां।
- अनुच्छेद 165 – राज्य का महाधिवक्ता।
- अनुच्छेद 213 – अध्यादेश जारी करने की राज्यपाल की शक्ति।
- अनुच्छेद 214 – राज्यों के लिए उच्च न्यायालय।
- अनुच्छेद 215 – उच्च न्यायालयों का अभिलेख न्यायालय होना।
- अनुच्छेद 226 – उच्च न्यायालयों की कुछ रिट जारी करने की शक्ति।
- अनुच्छेद 233 – जिला न्यायाधीशों की नियुक्ति।
- अनुच्छेद 235 – अधीनस्थ न्यायालयों पर नियंत्रण।
भाग 8 – केंद्र शासित प्रदेश (अनुच्छेद 239 से 242)
- अनुच्छेद 239 – संघ राज्यक्षेत्रो का प्रशासन।
- अनुच्छेद 240 – संघ राज्य क्षेत्रो के लिए नियम बनाने की राष्ट्रपति की शक्ति।
- अनुच्छेद 241 – संघ राज्य क्षेत्रो के लिए उच्च न्यायालय।
भाग 9 – पंचायतें (अनुच्छेद 243 से 243)
- अनुच्छेद 243 (A) – ग्राम सभा
- अनुच्छेद 243 (B) – पंचायतों का गठन
भाग 12 – वित्त, संपत्ति, अनुबंध और वाद (अनुच्छेद 264 से 300A)
- अनुच्छेद 266 – समेकित निधि एवं लोक लेखा निधि।
- अनुच्छेद 267 -भारत की आकस्मिकता निधि।
- अनुच्छेद 280 – वित्त आयोग।
- अनुच्छेद 300 (A) – संपत्ति का अधिकार।
भाग 13 – भारत के क्षेत्रों के भीतर व्यापार, वाणिज्य और संभोग (अनुच्छेद 301 से 307)
- अनुच्छेद 301 – व्यापार, वाणिज्य और समागम की स्वतंत्रता।
- अनुच्छेद 302 – व्यापार, वाणिज्य और समागम पर प्रतिबंध लगाने की संसद की शक्ति।
भाग 14 – केंद्र और राज्य के अधीन सेवाएँ (अनुच्छेद 308 से 323)
- अनुच्छेद 312 – अखिल भारतीय सेवा।
- अनुच्छेद 315 – संघ और राज्यों के लिए लोक सेवा आयोग।
- अनुच्छेद 320 – लोक सेवा आयोग के कार्य।
- अनुच्छेद 323 (A) – प्रशासनिक न्यायाधिकरण।
भाग 15 – चुनाव (अनुच्छेद 324 से 329)
- अनुच्छेद 324 – चुनावों का अधीक्षण, निर्देशन और नियंत्रण निर्वाचन आयोग में निहित होगा
- अनुच्छेद 325 – किसी भी व्यक्ति को धर्म, मूलवंश, जाति या लिंग के आधार पर किसी विशेष मतदाता सूची में शामिल होने के लिए अपात्र नहीं ठहराया जा सकता या शामिल होने का दावा नहीं किया जा सकता।
- अनुच्छेद 326 – लोक सभा और राज्य विधान सभाओं के लिए निर्वाचन वयस्क मताधिकार के आधार पर होगा
भाग 16 – SC, ST, OBC के लिए विशेष प्रावधान (अनुच्छेद 330 से 342)
- अनुच्छेद 338 – राष्ट्रीय अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति आयोग
- अनुच्छेद 340 – पिछड़े वर्गों की स्थिति की जांच के लिए आयोग की नियुक्ति
भाग 17 – राजभाषा (अनुच्छेद 343 से 351)
- अनुच्छेद 343 – संघ की राजभाषाएँ
- अनुच्छेद 345 – किसी राज्य की आधिकारिक भाषाएँ या भाषाएँ
- अनुच्छेद 348 – सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालयों में प्रयोग की जाने वाली भाषाएँ
- अनुच्छेद 351 – हिंदी भाषाओं के विकास के लिए निर्देश
भाग 18 – आपातकाल (अनुच्छेद 352 से 360)
- अनुच्छेद 352 – आपातकाल की घोषणा (राष्ट्रीय आपातकाल)
- अनुच्छेद 356 – राज्य आपातकाल (राष्ट्रपति शासन)
- अनुच्छेद 360 – वित्तीय आपातकाल
- अनुच्छेद 361 – राष्ट्रपति और राज्यपालों का संरक्षण
भाग 20 – संविधान संशोधन (अनुच्छेद 368)
- अनुच्छेद 368 – संविधान में संशोधन करने की संसद की शक्तियाँ
भाग 21 – विशेष, संक्रमणकालीन, अस्थायी प्रावधान (अनुच्छेद 369 से 392)
- अनुच्छेद 370 – पूर्ववर्ती जम्मू-कश्मीर राज्य के लिए अस्थायी प्रावधान।
- अनुच्छेद 371 (A) – नागालैंड राज्य के संबंध में विशेष प्रावधान।
- अनुच्छेद 371 (J) – हैदराबाद-कर्नाटक क्षेत्र के लिए विशेष दर्जा।
- अनुच्छेद 393 – संक्षिप्त नाम – इस संविधान को भारत का संविधान कहा जा सकेगा।
भारतीय संविधान की अनुसूचियां
भारतीय संविधान में 12 अनुसूचियाँ (Schedules) हैं, जो विभिन्न प्रावधानों, कानूनों और प्रशासनिक पहलुओं को व्यवस्थित करने और उनका विवरण प्रदान करने के लिए जोड़ी गई हैं। नीचे एक तालिका के रूप में इन अनुसूचियों का विवरण दिया गया है।
अनुसूची | विवरण |
---|---|
पहली अनुसूची | राज्यों और संघ शासित प्रदेशों के नाम और उनके क्षेत्रीय अधिकार। |
दूसरी अनुसूची | राष्ट्रपति, राज्यपाल, न्यायाधीशों और अन्य अधिकारियों के वेतन और भत्ते। |
तीसरी अनुसूची | विभिन्न पदों के लिए ली जाने वाली शपथ और प्रतिज्ञा। |
चौथी अनुसूची | राज्यसभा में राज्यों और संघ शासित प्रदेशों के लिए सीटों का विभाजन। |
पाँचवीं अनुसूची | अनुसूचित क्षेत्रों और अनुसूचित जनजातियों का प्रशासन और नियंत्रण। |
छठी अनुसूची | उत्तर-पूर्वी राज्यों में जनजातीय क्षेत्रों का प्रशासन। |
सातवीं अनुसूची | संघ, राज्य, और समवर्ती सूची – विषयों का वितरण। |
आठवीं अनुसूची | भारत में मान्यता प्राप्त भाषाओं की सूची। |
नौवीं अनुसूची | भूमि सुधार (पहले शंविधन संशोधन द्वारा जोड़ा गया) । |
दसवीं अनुसूची | दलबदल विरोधी कानून (विधायकों की अयोग्यता से संबंधित प्रावधान)। |
ग्यारहवीं अनुसूची | पंचायतों की शक्तियाँ, अधिकार और जिम्मेदारियाँ। |
बारहवीं अनुसूची | नगरपालिकाओं की शक्तियाँ, अधिकार और जिम्मेदारियाँ। |
भारतीय संविधान के अन्य अनुच्छेद
प्रतियोगिता परीक्षा में पूछे जाने वाले महत्वपूर्ण अनुच्छेदों को यहाँ पर बताया गया है। यहाँ पर दिया गया सभी अनुच्छेद विभिन्न परीक्षाओं में लगातार पूछे गये और आगामी परीक्षा की दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण है। यदि आप सभी अनुच्छेद याद नहीं कर सकतें है तो निचे दिए गये अनुच्छेद ही याद कर लेने से संविधान में पकड मजबूत हो जायेगा।
महत्वपूर्ण अनुच्छेद | महत्व |
अनुच्छेद 12-35 | मौलिक अधिकार |
अनुच्छेद 36-50 | राज्य नीति के निर्देशक सिद्धांत |
अनुच्छेद 51 (A) | मौलिक कर्तव्य |
अनुच्छेद 80 | राज्य सभा में सीटों की संख्या |
अनुच्छेद 243-243 (O) | पंचायती राज व्यवस्था |
अनुच्छेद 343 | राजभाषा के रूप में हिंदी |
अनुच्छेद 356 | राष्ट्रपति शासन लागू करना |
अनुच्छेद 370 | जम्मू और कश्मीर का विशेष दर्जा |
अनुच्छेद 395 | भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम और भारत सरकार अधिनियम 1919 को निरस्त किया गया |
मौलिक कर्तव्य (Fundamental Duties)
भारतीय संविधान के भाग 4 (A) में मौलिक कर्तव्यों (Fundamental Duties) का उल्लेख किया गया है। ये कर्तव्य भारतीय नागरिकों के लिए हैं और इनका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि वे राष्ट्र, समाज और संविधान के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को समझें। मौलिक कर्तव्यों को 42वें संविधान संशोधन (1976) द्वारा संविधान में जोड़ा गया। ये अनुच्छेद 51 (A) के तहत सूचीबद्ध हैं।
मूल रूप से 10 मौलिक कर्तव्य थे, लेकिन 86वें संविधान संशोधन (2002) के माध्यम से एक और कर्तव्य जोड़ा गया, जिससे इनकी कुल संख्या 11 हो गई। मौलिक कर्तव्यों की सूची निचे दिया गया है, जों निम्न है।
- संविधान का पालन करें और उसके आदर्शों, संस्थाओं, राष्ट्र ध्वज और राष्ट्रगान का आदर करें।
- स्वतंत्रता के लिए हमारे राष्ट्रीय आन्दोलन को प्रेरित करने वाले उच्च आदर्शों को हृदय में संजोए रखे और उनका पालन करें।
- भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता की रक्षा करें और उसे मजबूत रखें।
- देश की रक्षा करें और आवश्यकता पड़ने पर राष्ट्र की सेवा करे।
- भारत के सभी लोगों में सामाजिक समरसता और भ्रातृत्व की भावना को बढ़ावा देना, तथा महिलाओं का सम्मान करना।
- हमारी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का संरक्षण और संवर्धन करें।
- प्राकृतिक पर्यावरण (जैसे, जंगल, झीलें, नदियाँ और वन्य जीवन) की रक्षा करेंऔर उसे संरक्षित करें तथा प्राणियों के प्रति दयालुता रखें।
- वैज्ञानिक दृष्टिकोण, मानवतावाद और ज्ञानार्जन व सुधार की भावना को विकसित करें।
- सार्वजनिक संपत्ति की रक्षा करें और हिंसा से दूर रहें।
- व्यक्तिगत और सामूहिक गतिविधियों के सभी क्षेत्रों में उत्कृष्टता की ओर बढ़ने का प्रयास करें, जिससे राष्ट्र निरंतर ऊँचाइयों को प्राप्त कर सके।
- 6-14 वर्ष के बच्चों को शिक्षा प्रदान करने के अवसर दें (यह कर्तव्य 86वें संशोधन, 2002 के तहत जोड़ा गया)।
ये कर्तव्य भारतीय नागरिकों के लिए नैतिक और सांस्कृतिक दिशानिर्देश हैं और इनका पालन करना प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है।
भारतीय संविधान के स्रोत
भारत का संविधान विभिन्न देशों के संविधानों और परंपराओं से प्रेरणा लेकर तैयार किया गया है। इसे तैयार करने में विश्वभर के सर्वोत्तम संवैधानिक प्रथाओं को अपनाया गया है। निम्न तालिका में भारत के संविधान के प्रमुख स्रोत और उनसे प्रेरित प्रावधान दिए गए हैं।
देश | प्रेरित प्रावधान |
---|---|
ब्रिटेन | संसदीय प्रणाली |
कानून का शासन | |
विधायिका का सर्वोच्चता सिद्धांत | |
एकल नागरिकता | |
द्वि सदनीय व्यवस्था | |
अध्यक्ष और स्पीकर की भूमिका | |
संयुक्त राज्य अमेरिका | मौलिक अधिकार |
स्वतंत्र न्यायपालिका | |
न्यायिक पुनरावलोकन | |
राष्ट्रपति प्रणाली में राष्ट्रपति का चुनाव | |
संविधान की सर्वोच्चता | |
उपराष्ट्रपति का पद | |
आयरलैंड | नीति निर्देशक तत्व |
राष्ट्रपति द्वारा मनोनीत राज्यसभा सदस्य | |
राष्ट्रपति का निर्वाचक मंडल | |
कनाडा | केंद्र और राज्य के बीच शक्तियों का विभाजन |
केंद्र को अधिक शक्तियां | |
राज्यपाल की नियुक्ति | |
संघीय शासन व्यवस्था | |
ऑस्ट्रेलिया | समवर्ती सूची |
प्रस्तावना की भाषा | |
संयुक बैठक | |
संविधान के प्रावधानों का लचीलापन और संशोधन प्रक्रिया | |
जर्मनी | आपातकालीन उपबंध |
फ्रांस | स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व का सिध्दांत |
गणतंत्रात्मक व्यवस्था | |
दक्षिण अफ्रीका | संविधान में संशोधन की प्रक्रिया |
मौलिक अधिकारों का संरक्षण | |
सोवियत संघ | समाजवादी आदर्श और मूलभूत कर्तव्य |
प्राचीन परंपराएं | पंचायती राज व्यवस्था |
ग्राम सभा और विकेंद्रीकरण |
यह तालिका भारत के संविधान की व्यापकता और इसकी गहन सोच को दर्शाती है, जो विभिन्न संविधानों से प्रेरणा लेते हुए भारतीय परिस्थितियों के अनुकूल है।
भारत का संविधान केवल एक कानूनी दस्तावेज नहीं है, यह देश के नागरिकों की स्वतंत्रता, समानता, और न्याय के प्रति प्रतिबद्धता का प्रतीक है। यह हमें एकजुट करता है, हमारे अधिकारों की रक्षा करता है, और समाज में सामाजिक-आर्थिक समरसता को बढ़ावा देता है।
संविधान की शक्ति न केवल इसके शब्दों में है, बल्कि उसमें निहित मूल्यों और आदर्शों में है जो हर भारतीय के जीवन को बेहतर बनाने का वादा करते हैं। यह हमें हमारे कर्तव्यों की याद दिलाता है और एक बेहतर, समान, और समृद्ध भारत के निर्माण के लिए प्रेरित करता है।
भारत का संविधान न केवल अतीत और वर्तमान की विरासत है, बल्कि भविष्य का मार्गदर्शक भी है। इसे सम्मान देना और इसके सिद्धांतों का पालन करना हर नागरिक का धर्म और कर्तव्य है। यही वह धरोहर है जो भारत को विश्व में अद्वितीय बनाती है।
अधिक पूछे जाने वाले सवाल
संविधान का अर्थ क्या है?
संविधान का अर्थ है नियमों, सिद्धांतों, और विधियों का ऐसा संगठित संग्रह, जो किसी देश या समाज के शासन, संचालन, और व्यवस्थाओं को नियंत्रित करता है। संविधान वह मूलभूत ढांचा है, जिसके आधार पर सरकार की संरचना, शक्तियां, अधिकार, और नागरिकों के कर्तव्य तथा अधिकार तय होते हैं।
भारतीय संविधान हाथ से किसने लिखा था?
भारतीय संविधान को हाथ से प्रेम बिहारी नारायण रायज़ादा ने लिखा था। वह एक प्रसिद्ध सुलेखक (कैलिग्राफर) थे, और उन्होंने संविधान की मूल प्रति को अपनी सुंदर और अनूठी इटैलिक शैली में हाथ से लिखा।
- आखिरी अपडेट: 4 मिनट पहले
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