इस लेख में हमने प्रत्यय (Pratyay in Hindi) के बारे में विस्तार से बताया है। प्रत्यय हिंदी व्याकरण का बहुत ही महत्वपूर्ण भाग है जो अधिकांश प्रतियोगी परीक्षाओं में पूछा ही जाता है। प्रत्यय (Pratyay in Hindi) को समझने और इसके आवश्यक नियम को जानने के लिए निचे पोस्ट को आखिरी तक पढ़े और हिंदी में अपनी पकड़ और भी मजबूत कीजिए।
प्रत्यय किसी भी सार्थक मूल शब्द के बाद में जोड़े जाने वाला वह अविकारी शब्दांश हैं, जो शब्द के अन्त में जुड़कर उसके अर्थ में बदलाव ला देते हैं अर्थात् शब्द में नवीन विशेषता उत्पन्न कर देते हैं।
Pratyay in Hindi | Pratyay ki Paribhasha
प्रत्यय (Pratyay in Hindi) वे शब्द हैं जो दूसरे शब्दों के अन्त में जुड़कर शब्द के अर्थ में परिवर्तन कर देते हैं। प्रत्यय शब्द दो शब्दों (Pratyay ki Paribhasha) (प्रति + अय) से मिलकर बना होता है। प्रति का अर्थ होता है “साथ में लेकिन बाद में” और अय का अर्थ होता है “चलने वाला” अर्थात प्रत्यय का अर्थ होता है साथ में लेकिन बाद में चलने वाला। वह शब्द जिनका खुद का अस्तित्व नहीं होता है वे किसी शब्द के पीछे लगकर उसके अर्थ में परिवर्तन कर देते हैं।
जैसे:
- अच्छा + आई = अच्छाई
- बड़ा + आई =
बड़ाई
- सफल + ता = सफलता
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यहाँ ‘आई’ और ‘ता’ दोनों शब्दांश प्रत्यय हैं। जो ‘अच्छा, बड़ा’ और सफल मूल शब्द के बाद में जोड़ दिए जाने पर अच्छाई, बड़ाई
और ‘अच्छाई’ शब्द की रचना करते हैं।
हिन्दी भाषा में प्रत्यय (Pratyay in Hindi) को निम्न मुख्य भागों में विभक्त किया गया है जिसे हमने निचे विस्तार से उदाहरण सहित बताया है।
कृत् प्रत्यय – Krit Pratyay
वह प्रत्यय (Pratyay in Hindi) जो क्रिया के अंत में लगकर एक नए शब्द का निर्माण करते हैं, उसे कृत प्रत्यय कहते हैं।
या
वह प्रत्यय (Pratyay in Hindi) जो किसी क्रिया के मूल रूप यानी धातु में जोड़े जाते है, कृत् प्रत्यय कहलाते है और इनसे बने शब्द को कृदंत कहलाते हैं।
जैसे:
क्रिया पद | कृत् प्रत्यय | कृदन्त शब्द |
---|---|---|
पढ़ना | वाला | पढ़ने वाला |
लेख | अक | लेखक |
पाठ | अक | पाठक |
कृत् प्रत्यय के निम्न पाँच प्रकार हैं:
- I. कर्तृवाचक कृत् प्रत्यय
- II. कर्मवाचक कृत् प्रत्यय
- III. करणवाचक कृत् प्रत्यय
- IV. भाववाचक कृत् प्रत्यय
- V. क्रियावाचक कृत् प्रत्यय
(I). कर्तृवाचक कृत् प्रत्यय
जिस शब्द से किसी के कार्य को करने वाले का पता चले उसे कर्तृवाचक कृत् प्रत्यय कहते हैं।
कर्तृवाचक कृत् प्रत्यय के उदाहरण:
प्रत्यय | कृदन्त शब्द |
---|---|
हार | पालनहार, चाखनहार, राखनहार |
वाला | रखवाला, लिखनेवाला, पढ़नेवाला |
क | रक्षक, भक्षक, पोषक, शोषक |
अक | लेखक, गायक, पाठक, नायक |
ता | दाता, माता, गाता, नाता |
(II). कर्मवाचक कृत् प्रत्यय
वह प्रत्यय जो किसी कर्म का बोध कराता हो, उसे कर्म वाचक कृत् प्रत्यय कहते हैं।
कर्मवाचक कृत् प्रत्यय के उदाहरण:
प्रत्यय | कृदन्त शब्द |
---|---|
औना | खिलौना, बिछौना |
नी | ओढ़नी, मथनी, छलनी |
ना | पढ़ना, लिखना, गाना |
(III). करणवाचक कृत् प्रत्यय
वह प्रत्यय जो किसी साधन का बोध कराता हो, उसे करण वाचक कृत प्रत्यय कहते हैं।
करणवाचक कृत् प्रत्यय के उदाहरण:
प्रत्यय | कृदन्त शब्द |
---|---|
अन | पालन, सोहन, झाङन |
नी | चटनी, कतरनी, सूँघनी |
ऊ | झाडू, चालू |
ई | खाँसी, धाँसी, फाँसी |
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(IV). भाववाचक कृत् प्रत्यय
किसी क्रिया के भाव का बोध कराने वाले प्रत्यय को भाववाचक कृत् प्रत्यय कहते हैं।
भाववाचक कृत् प्रत्यय के उदाहरण:
प्रत्यय | कृदन्त शब्द |
---|---|
आप | मिलाप, विलाप |
आवट | सजावट, मिलावट, लिखावट |
आव | बनाव, खिंचाव, तनाव |
आई | लिखाई, खिंचाई, चढ़ाई |
(V). क्रियावाचक कृत् प्रत्यय
किसी क्रिया शब्द का बोध कराने वाले प्रत्यय को क्रियावाचक कृत् प्रत्यय कहते हैं।
क्रियावाचक कृत् प्रत्यय के उदाहरण:
प्रत्यय | कृदन्त शब्द |
---|---|
या | आया, बोया, खाया |
कर | गाकर, देखकर, सुनकर |
आ | सूखा, भूला |
ता | खाता, पीता, लिखता |
तद्धित प्रत्यय – Taddhit Pratyay
किसी क्रिया को छोड़कर संज्ञा, विशेषण या सर्वनाम आदि के अंत में जुड़कर नए शब्द बनाने वाले प्रत्यय को तद्धित प्रत्यय कहते हैं। और इसके जुड़ने से बनने वाले शब्द को तध्दितान्त कहते हैं।
या
जो प्रत्यय संज्ञा, विशेषण, सर्वनाम के अंत में लगने के बाद नए शब्द की रचना करते हैं, उसे तद्धित प्रत्यय कहते हैं। हिंदी में तद्धित प्रत्यय के निम्न प्रकार हैं।
- I. कर्तृवाचक तद्धित प्रत्यय
- II. भाववाचक तद्धित प्रत्यय
- III. संबंधवाचक तद्धित प्रत्यय
- IV. अप्रत्यवाचक तद्धित प्रत्यय
- V. उनवाचक तद्धित प्रत्यय
- VI. स्त्रीवाचक तद्धित प्रत्यय
(I). कर्तृवाचक तद्धित प्रत्यय
वह प्रत्यय जो किसी संज्ञा, सर्वनाम या विशेषण शब्द के अंत में जुड़कर कर्तावाचक शब्द का निर्माण करते हैं उन्हें कर्तृवाचक तद्धित प्रत्यय कहते हैं।
या
कर्ता का बोध कराने वाले प्रत्यय को कर्तृवाचक तद्धति प्रत्यय कहते हैं।
कर्तृवाचक तद्धित प्रत्यय के उदाहरण:
प्रत्यय | तध्दितान्त शब्द |
---|---|
आर | सुनार, लुहार, कुम्हार |
ई | माली, तेली |
वाला | गाङीवाला, टोपीवाला, इमलीवाला |
(II). भाववाचक तद्धित प्रत्यय
किसी भाव का बोध कराने वाले प्रत्यय (Pratyay in Hindi) को भाववाचक तद्धित प्रत्यय कहते हैं। या आसान भाषा में कहें तो तद्धित प्रत्यय से बना हुआ कोई शब्द यदि भाववाचक संज्ञा का बोध कराता है तो वह भाववाचक तद्धित प्रत्यय होगा।
भाववाचक तद्धित प्रत्यय के उदाहरण:
प्रत्यय | तध्दितान्त शब्द |
---|---|
आहट | कड़वाहट |
ता | सुन्दरता, मानवता, दुर्बलता |
आपा | मोटापा, बुढ़ापा, बहनापा |
ई | गर्मी, सर्दी, गरीबी |
(III). सम्बन्धवाचक तद्धित प्रत्यय
वे तद्धित प्रत्यय जो किसी शब्द के अंत में जुड़कर संबंधवाचक शब्द का निर्माण करते हैं, उसे संबंधवाचक तद्धित प्रत्यय कहते हैं।
सम्बन्धवाचक तद्धित प्रत्यय के उदाहरण:
प्रत्यय | तध्दितान्त शब्द |
---|---|
इक | शारीरिक, सामाजिक, मानसिक |
आलु | कृपालु, श्रद्धालु, ईर्ष्यालु |
ईला | रंगीला, चमकीला, भङकीला |
तर | कठिनतर, समानतर, उच्चतर |
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(IV). गुणवाचक तद्धित प्रत्यय
गुण का बोध कराने वाले प्रत्यय (Pratyay in Hindi) को गुणवाचक तद्धित प्रत्यय कहते हैं।
गुणवाचक तद्धित प्रत्यय के उदाहरण:
प्रत्यय | तध्दितान्त शब्द |
---|---|
वान | गुणवान, धनवान, बलवान |
ईय | भारतीय, राष्ट्रीय, नाटकीय |
आ | सूखा, रूखा, भूखा |
ई | क्रोधी, रोगी, भोगी |
(V). स्थानवाचक तद्धित प्रत्यय
किसी स्थान का बोध कराने वाले प्रत्यय (Pratyay in Hindi) स्थानवाचक तद्धित प्रत्यय कहलाते हैं।
स्थानवाचक तद्धित प्रत्यय के उदाहरण:
प्रत्यय | तध्दितान्त शब्द |
---|---|
वाला | शहरवाला, गाँववाला, कस्बेवाला |
इया | उदयपुरिया, जयपुरिया, मुंबइया |
ई | रूसी, चीनी, राजस्थानी |
(VI). ऊनतावाचक तद्धित प्रत्यय
उनता का शाब्दिक अर्थ ‘कमजोर या हीन होना’ होता है। अतः वे तद्धित प्रत्यय जिनके संज्ञा, विशेषण या सर्वनाम शब्दों के साथ जुड़ने से यदि कोई शब्द मूल शब्द की तुलना में लघुता का अर्थ प्रकट करें तो उन्हें उनवाचक प्रत्यय कहते हैं।
या
लघुता का बोध कराने वाले प्रत्यय को ऊनतावाचक तद्धित प्रत्यय कहते हैं।
ऊनतावाचक तद्धित प्रत्यय के उदाहरण:
प्रत्यय | तध्दितान्त शब्द |
---|---|
इया | लुटिया, डिबिया, लतिका, पत्रिका |
ई | प्याली, नाली, बाली, झंडी, पहाड़ी |
ड़ी | चमड़ी, पकड़ी |
ओला | खटोला, संपोला, मंझोला |
(VII). स्त्रीवाचक तद्धित प्रत्यय
वह प्रत्यय (Pratyay in Hindi) जो किसी पुल्लिंग वाचक शब्द को स्त्रीलिंग वाचक शब्द में परिवर्तित कर देते हैं, उसे स्त्रीवाचक तद्धित प्रत्यय कहते हैं।
स्त्रीवाचक तद्धित प्रत्यय के उदाहरण:
प्रत्यय | तध्दितान्त शब्द |
---|---|
आइन | पंडिताइन, ठकुराइन, ललाईन |
इन | मालिन, कुम्हारिन, जोगिन |
नी | मोरनी, शेरनी, नन्दनी |
आनी | सेठानी, देवरानी, जेठानी |
संस्कृत प्रत्यय – Sanskrit Pratyay
प्रत्यय | मूल शब्द | उदाहरण |
---|---|---|
आयन | तिलक, वत्स | वात्स्यायन, तिलकायन |
इक | मातृ, मुख | मौखिक, मातृक |
इका | प्रकाश, काशी | प्रकाशिका, काशिका |
इत् | पुष्प, तृषा | पुष्पित, तृषित |
इमा | महा, हरित | महिमा, हरीतिमा |
इम् | अग्र, पश्च | पश्चिम, अग्रिम |
इय् | क्षत्र | क्षत्रिय |
इष्ठ | धर्म, भूमि | धार्मिष्ठ, भूमिष्ठ |
ईन् | काल, नव | नवीन, कालीन |
ईय | नगर, मत् | मदीय, नगरीय |
एय | राधा, विनिता | वैनतेय, राधेय |
तः | मूल, वस्तु | वस्तुतः, मूलतः |
त्र | यत्, कु | कुत्र, यत्र |
त्व | पुरुष, स्त्री | रुरुषत्व, स्त्रीत्व |
मय | तप, शान्ति | शान्तिमय, तपोमय |
मान् | शक्ति, श्री | श्रीमान्, शक्तिमान् |
य | सम, शरण | साम्य, शरण्य |
वत् | ब्राह्मण, पुत्र | ब्राह्मणवत्, पुत्रवत् |
वान् | धन, श्रद्धा | श्रद्धावान्, धनवान् |
वी | यश, तेज | तेजस्वी, यशस्वी |
शः | शन, बहु | बहुशः, शतशः |
सात् | आत्म, भूमि | आत्मसात्, भूमिसात् |
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विदेशज प्रत्यय – Videshaj Pratyay
विदेशज प्रत्यय के उदाहरण – (Pratyay in Hindi)
प्रत्यय | मूल शब्द | उदाहरण |
---|---|---|
आ | चश्म, खराब | चश्मा, खराबा |
आनी | रूह, बर्फ | रूहानी, बर्फानी |
आब | जूल, गुल | गुलाब, जुलाब |
इन्दा | चुनि, बसि | बसिन्दा, चुनिन्दा |
इयत | इंसान, खैर | खैरियत, इंसानियत |
कार | काश्त, पेश | पेशकार, काश्तकार |
खाना | मुर्गी, डाक | डाकखाना, मुर्गीखाना |
खोर | चुगल, रिश्वत | चुगलखोर, रिश्वतखोर |
गार | करने वाला | रोजगार, मद्दगार |
गी | भाव प्रधानता | गन्दगी, जिंदगी |
चा, ची | वाला | बगीचा, डोलची |
दान | कलम, पान | पानदान, कमलदान |
दार | कर्म प्रधान | कर्जदार, ईमानदार |
दार | माल, फल | मालदार, फलदार |
बाज, बाजी | धोखा, चाल | धोखेबाज, चालबाज |
मन्द | जरूरत, अक्ल | जरूरतमन्द, अक्लमन्द |
उर्दू के प्रत्यय
प्रत्यय | उदाहरण |
आना | नजराना, दोस्ताना, सालाना |
आबाद | सिकन्दराबाद, औरंगाबाद |
इयत | इंसानियत, खैरियत, आदमियत |
इश | साजिश, ख्वाहिश, फरमाइश |
ईन | शौकीन, रंगीन, नमकीन |
कार | सलाहकार, लेखाकार, जानकार |
खोर | आदमखोर, चुगलखोर, रिश्वतखोर |
गर | कारीगर, बाजीगर, सौदागर |
गार | खिदमतगार, मददगार, गुनहगार |
गाह | ख्वाबगाह, ईदगाह, दरगाह |
गी | ताजगी, बानगी, सादगी |
गीर | आलमगीर, जहाँगीर, राहगीर |
ची | नकलची, तोपची, अफीमची |
दान | खानदान, पीकदान, कूङादान |
दार | हवलदार, जमींदार, किरायेदार |
नामा | बाबरनामा, जहाँगीरनामा, सुलहनामा |
बन्द | कमरबंद, नजरबंद, दस्तबंद |
बाज | धोखेबाज, नशेबाज, चालबाज |
मन्द | जरूरतमन्द, अहसानमन्द, अकलमन्द |
तत्सम प्रत्यय – Tatsam Pratyay
तत्सम प्रत्यय के उदाहरण – (Pratyay in Hindi)
प्रत्यय | मूल शब्द | उदाहरण |
---|---|---|
आ | पूज्, कथ् | पूजा, कथा |
आनी | भव, देव | भवानी, देवरानी |
आयु | अल्प, दीर्घ | अल्पायु, दीर्घायु |
इक | वेद, लोक | लौकिक, वैदिक |
इत | पुष्प, फल | पुष्पित, फलित |
ईन | युग, कुल | कुलीन, युगीन |
ईय | भवत्, भारत | भारतीय, भवदीय |
कार | मुख्यत्, साधारण | मुख्यतया, साधारणतया |
तम | उच्च, निकट | निकटतम, उच्चतम |
ता | कोमल, मम | ममता, कोमलता |
त्व | लघु, कवि | कवित्व, लघुत्व |
मान् | विद्या, बुद्धि | बुद्धिमान, विद्यामान |
लु | दया,कृपा | कृपालु, दयालु |
वान् | गुण, बल | गुणवान, बलवान |
तद्भव प्रत्यय – Tadbhav Pratyay
तद्भव प्रत्यय के उदाहरण (Pratyay in Hindi)
प्रत्यय | मूल शब्द | उदाहरण |
---|---|---|
आ | सफ़ेद, चश्म | चश़्मा, सफ़ेदा |
आना | मस्त, मर्द | मस्तानी, मर्दानी |
चा, ची | बाग, बंदूक | बगीचा, बंदूक़ची |
कार | काश्त, पेश | काश्तकार, पेशकार |
इचा | दरी, बाग | दरीचा, बागीचा |
आनी | जिस्म, रुह | ज़िस्मानी, रुहानी |
ई | खुश, दुःख | दुःखी, खुशी |
खाना | डाक, मुर्गी | मुर्गीखाना, डाकखाना |
गी | मर्दाना, गंद | गंदगी, मर्दानगी |
खोर | चुगल, रिश्वत | चुगलखोर, रिश्वतखोर |
गार | रोज, मदद | मददगार, रोजगार |
दान | कलम्, पान | पानदान, कलमदान |
दार | माल, फल | मालदार, फलदार |
नामा | इकरार, फरार | फरारनामा, इकरारनामा |
बंद | कमर, लटक | लटकबंद, कमरबंद |
बार | हर, दर | दरबार, हरबार |
अधिकतर पुछे जाने वाले सवाल (FAQs)
प्रत्यय किसे कहते हैं और कितने प्रकार के होते हैं?
प्रत्यय वे शब्द हैं जो दूसरे शब्दों के अन्त में जुड़कर शब्द के अर्थ में परिवर्तन कर देते हैं। प्रत्यय शब्द दो शब्दों (प्रति + अय) से मिलकर बना होता है। प्रति का अर्थ होता है “साथ में लेकिन बाद में” और “अय” का अर्थ होता है “चलने वाला” अर्थात प्रत्यय का अर्थ होता है साथ में लेकिन बाद में चलने वाला।
प्रत्यय को कैसे पहचाने?
प्रत्यय को पहचानने के लिए हमने ऊपर हमने कुछ महत्वपूर्ण नियम बताये हैं जिससे आप किसी भी प्रत्यय को बहुत ही आसानी से जान सकते हो।
हिंदी में प्रत्यय के कितने भेद होते हैं?
हिंदी भाषा में प्रत्यय के भेद इस प्रकार हैं: कृत् प्रत्यय, तद्धित प्रत्यय, संस्कृत प्रत्यय, विदेशज प्रत्यय, तत्सम प्रत्यय और तद्भव प्रत्यय।
उपसर्ग और प्रत्यय में कौन सा अंतर है?
उपसर्ग किसी शब्द में पूर्व जुड़कर उनके अर्थ में परिवर्तन कर देते हैं जबकि प्रत्यय किसी मूल शब्द के अंत में जुड़कर उस शब्द के अर्थ में परिवर्तन करते हैं।
प्रत्यय के 10 उदाहरण बताइये?
प्रत्यय के 10 उदाहरण निम्न हैं:
धन + वान = धनवान
विद्या + वान = विद्वान
बल + वान = बलवान
भाषा + ओं = भाषाओं
शब्द + ओं = शब्दों
वाक्य + ओं = वाक्यों
कार्य + ओं = कार्यों
नदी + याँ = नदियाँ
प्रति + याँ = प्रतियाँ
चालाक + ई = चालाकी
निष्कर्ष
इस आर्टिकल में हमने Pratyay in Hindi | Pratyay ki Paribhasha के बारे में सिखा। हमें उम्मीद है कि आपको यह जानकारी अच्छी लगी होगी। इस लेख के बारे में अपने विचार या सुझाव हमें बताये। इसी तरह के और आर्टिकल पढ़ते रहने के लिए हमारे वेबसाइट और सोशल मीडिया यूट्यूब, टेलीग्राम, फेसबुक, इन्स्टाग्राम और ट्विटर पर फॉलो करे।