छत्तीसगढ़ की प्रमुख नदियाँ (Rivers in Chhattisgarh) : छत्तीसगढ़ की प्रमुख नदियाँ सभी लोगों के जीवन में एक महत्वपूर्ण और अहम भूमिका निभाती हैं। पूरे छत्तीसगढ़ राज्य में पीने योग्य पानी, सिंचाई, सस्ते परिवहन और बिजली के साथ-साथ बड़ी संख्या में लोगों के लिए आजीविका प्रदान करती है।
छत्तीसगढ़ के लगभग सभी प्रमुख शहर नदी के किनारे स्थित हैं। पांच छत्तीसगढ़ की प्रमुख नदियाँ (शिवनाथ नदी, महानदी, हसदेव नदी, अरपा और गोदावरी) अपनी कई सहायक नदियों के साथ छत्तीसगढ़ की ये नदियाँ प्रणाली बनाती हुई प्रवाहित होती हैं।
Rivers in Chhattisgarh | छत्तीसगढ़ की प्रमुख नदियाँ
आज छत्तीसगढ़ की प्रमुख नदियाँ (Rivers in Chhattisgarh) और उनके प्रवाह तंत्र उनके बारे में जानेंगे। साथ ही ये भी समझने की कोशिश करेंगे कि छत्तीसगढ़ में इन नदियों को इतना महत्वपूर्ण क्यों माना जाता है। इनकी विशेषताओँ के बारें में सम्पूर्ण अध्ययन करेंगे।
महानदी
यह छत्तीसगढ़ की सबसे बड़ी नदी (Rivers in Chhattisgarh) है छत्तीसगढ़ राज्य का सर्वप्रमुख अपवाह तंत्र है जो राज्य के कुल जल का 56.15 प्रतिशत जल वहन करती है तथा प्रदेश के लगभग 77.43 हजार वर्ग कि.मी. पर विस्तृत है। इस अपवाह तंत्र की सर्वप्रमुख नदी महानदी है।
महानदी की प्रमुख सहायक नदी से मिलकर इस प्रवाह तंत्र का निर्माण हुआ है। प्रदेश का लगभग तीन-चौथाई भाग इसी अपवाह तंत्र के अंतर्गत आने वाले जिले है धमतरी, कांकेर, बालोद, राजनांदगांव, कवर्धा, मुंगेली, बिलासपुर, जांजगीर-चांपा, रायगढ, महासमुंद, गरियाबंद एवं जशपुर ।
महानदी का प्रवाह तत्र अनुवर्ती है। नदियों ढाल के अनुरूप महानदी के चारों दिशाओं से केन्द्राभिसारी प्रतिरूप में बहते हुए महानदी में मिलती हैं। यही कारण है कि छ.ग. के मैदान में नदियाँ एक सुव्यवस्थित नहर तंत्र की भाँति फैली हुई है। महानदी बेसिन का ढाल पूर्व की ओर होने के कारण समस्त नदियां पूर्व की ओर बहती है।
महानदी छत्तीसगढ़ की सबसे लम्बी नदी है। इसकी सांस्कृतिक विरासत, आर्थिक तथा सामाजिक महत्व के कारण इसे छत्तीसगढ़ की जीवन रेखा कहा जाता है। महानदी को विभिन्न कालक्रमों में महानंदा, कनकनंदिनी, चित्रोत्पला इत्यादि पौराणिक नामों से भी जाना गया है। इसके धार्मिक महत्व के कारण इसे छत्तीसगढ़ की गंगा की संज्ञा दी जाती है।
इसे भी पढ़े – Hindi Dubbed South Movies | Top 10 South Movies
महानदी का उद्गम धमतरी जिले के सिहावा पर्वत से हुआ है। जनश्रुतियों के अनुसार श्रृंगी ऋषि के कमण्डल से इस नदी का उद्गम हुआ। श्रृंगी ऋषि के प्रिय शिष्य महानंदा के नाम पर इस नदी का नाम महानदी पड़ा। जो 858 किमी. बहने के बाद ओडिसा राज्य में कटक के समीप बंगाल की खाड़ी में विलीन हो जाती है।
प्रदेश में यह कुल 286 किमी की लम्बाई तक बहती है। प्रारंभ में महानदी उत्तर की ओर बहती है फिर शिवरीनारायण के पास पूर्व की ओर मुडकर रायगढ़ जिले के बाद ओडिसा में प्रवेश करती है।
महानदी की सहायक नदियाँ क्रमशः:- शिवनाथ, हसदेव, मांड, केलो तथा ईब उत्तर की ओर से महानदी में मिलती है। जबकि दक्षिण की ओर से दूध, सौदूर पैरी, जॉक, सूखा तथा लात इत्यादि नदियां मिलती है।
महानदी की सबसे लंबी सहायक नदी शिवनाथ है। महानदी के तट पर राजिम, आरंग, सिरपुर, शिवरीनारायण एवं चंद्रपुर आदि धार्मिक एवं ऐतिहासिक महत्व के नगर स्थित है।
महानदी पर तीन, त्रिवेणी संगम स्थित है। जिसके राजिम में पैरी तथा सांदूर का, वहीं शिवरीनारायण में शिवनाथ व जॉक का जबकि चंद्रपुर में मांड व लात नदियों का, महानदी पर त्रिवेणी संगम होता है।
राजिम को छ.ग का प्रयाग कहा जाता है जहाँ प्रति वर्ष कुंभ मेले का आयोजन किया जाता है।
महानदी में परविशंकर शुक्ल बहुउद्देशीय परियोजना धमतरी जिले में निर्मित है। यहीं पर 1915 में निर्मित रूद्री जलाशय परियोजना भी स्थित है। साथ ही, 1963 में धमतरी–कांकेर सीमा पर दुधवा जलाशय का निर्माण किया गया है। 1980 में विश्व बैंक के सहयोग से महानदी कांप्लेक्स परियोजना प्रारंभ की गई है।
वर्तमान में महानदी पर कई लघु परियोजनाओं की एक श्रृंखला निर्माणाधीन है। जिसमें नया रायपुर को पेयजल की आपूर्ति के लिए निर्मित दुनाला बैराज तथा रोवर एनीकट प्रमुख है।
शिवनाथ नदी
इस नदी की उत्पत्ति महाराष्ट्र के गढ़चिरौली जिले के गोडरी की पहाड़ी से हुआ है जो 290 कि.मी. बहने के बाद जांजगीर-चांपा के शिवरीनारायण के निकट महानदी में विलीन हो जाती है। यह छत्तीसगढ़ में बहने वाली सबसे लम्बी नदी है। इसके प्रवाह क्षेत्र के अंतर्गत क्रमशः राजनांदगांव, दुर्ग, बेमेतरा, बलौदाबाजार, मुंगेली, बिलासपुर, एवं जांजगीर-चांपा जिले आते हैं।
इस नदी की प्रमुख सहायक नदियाँ मनियारी, लीलागर, अरपा, खारून एवं तांदुला है। इस नदी के तट पर दुर्ग शहर एवं मदकूद्वीप स्थित है। राजनांदगांव जिले में इस नदी पर मोंगरा बैराज बनाया गया है जो आस-पास के लोगों के लिए सिंचाई, पेयजल, मत्स्य पालन इत्यादि के लिए बहु-उपयोगी सिद्ध हो रही है।
इस नदी का ऐतिहासिक महत्व भी है, यह नदी प्राचीन काल में छत्तीसगढ़ के गढ़-व्यवस्था के 36 गढ़ों को उत्तर एवं दक्षिण के 18-18 गढ़ों में विभक्त करती थी।
हसदेव नदी
इस नदी की उत्पत्ति कोरिया जिले के देवगढ़ पहाड़ी की कैमूर पर्वत श्रृंखला से हुई है जो 176 कि.मी. बहने के बाद शिवरीनारायण के निकट ग्राम केरा-सिलादेही पर महानदी में विलीन हो जाती है। इसके प्रवाह क्षेत्र के अंतर्गत कोरिया, कोरबा एवं जांजगीर-चांपा जिले आते हैं। इस नदी के तट पर स्थित शहर क्रमश:- कोरबा, चांपा एवं पीथमपुर है।
गज, अहिरन, जटाशंकर, चोरनाई, तांग, झीन और उत्तेंग आदि इसकी प्रमुख सहायक नदियाँ है। इस नदी पर कटघोरा तहसील क्षेत्र के अंतर्गत बांगो ग्राम में हसदेव-बांगो नामक बहुउद्देशीय परियोजना का निर्माण किया गया है जो छत्तीसगढ़ की प्रथम जल विद्युत परियोजना भी है।
मांड नदी
इस नदी का उद्गम सरगुजा जिले के मैनपाट से हुआ है जो 155 कि.मी. बहने के बाद जांजगीर-चांपा जिले के चन्द्रपुर के समीप महानदी में विलीन हो जाती है। इसके प्रवाह क्षेत्र के अंतर्गत सरगुजा, रायगढ़ एवं जांजगीर-चांपा जिले आते हैं।
इसे भी पढ़े – ITI Ka Full Form | आईटीआई का फुल फॉर्म क्या है?
इसकी प्रमुख सहायक नदियां कोहिराज एवं कुटकुट है। इसके नदी घाटी को, मांड नदी घाटी कहा जाता है जो वर्तमान में कोयला का सबसे बड़ा भंडार क्षेत्र है।
केलो नदी
इस नदी का उद्गम रायगढ़ जिले में स्थित लुड़ेंग की पहाड़ी से हुआ है तथा इसका विसर्जन ओड़िसा राज्य के महादेवपाली के समीप महानदी में होता है। इस नदी के तट पर रायगढ़ शहर स्थित है। जिस पर केलो बांध परियोजना निर्माणाधीन है।
पैरी नदी
इस नदी का उद्गम गरियाबंद जिले के भातृगढ़ की पहाड़ी से हुआ है जो 90 कि.मी. बहने के बाद राजिम के समीप त्रिवेणी संगम बनाते हुए महानदी में विलिन हो जाती है। इस नदी पर सन् 1995 में सिकासार बांध परियोजना का निर्माण, गरियाबंद जिले में किया गया है। सोंढुर इसकी प्रमुख सहायक नदी है।
मनियारी नदी
यह शिवनाथ नदी की प्रमुख सहायक नदी है। इस नदी का उद्गम पेण्ड्रा-लोरमी के पठार के सिहावल सागर नामक स्थान से हुआ है जो 134 कि.मी. बहने के बाद मदकूद्वीप के समीप शिवनाथ नदी में विलीन हो जाती है। इसके प्रवाह क्षेत्र में मुंगेली एवं बिलासपुर जिले आते हैं तथा बिलासपुर जिले में इस नदी के तट पर तालागांव स्थित है जो एक ऐतिहासिक-धार्मिक स्थल है। इसकी सहायक नदियों में धौधा, छोटी नर्मदा, आगर, टेसुवा आदि है।
अरपा नदी
इस नदी का उद्गम पेण्ड्रा-लोरमी पठार के खोडरी-खोंगसरा नामक स्थान से हुआ है तथा यह 100 कि.मी. बहने के बाद बलौदाबाजार जिले के मानिकचौरा के समीप शिवनाथ नदी में विलीन हो जाती है।
इस नदी के तट पर बिलासपुर शहर स्थित है तथा बिलासपुर जिले में भैसाझार बांध परियोजना निर्माणाधीन है। खारंग इसकी सहायक नदी है जिसमें खूंटाघाट बांध परियोजना का निर्माण किया गया है।
लीलागर नदी
प्राचीनकाल में इसे निडिला नदी के नाम से जाना जाता था। लीलागर नदी का उद्गम कोरबा जिले से हुआ है। यह बिलासपुर और जांजगीर-चांपा जिले के बीच सीमा-रेखा बनाते हुए 135 कि.मी बहने के बाद शिवनाथ नदी में विलीन हो जाती है। इस नदी के तट पर मल्हार शहर स्थित है जो एक ऐतिहासिक एवं पुरातात्विक स्थल है।
तांदुला नदी
इस नदी का उद्गम कांकेर जिले के भानुप्रतापपुर तहसील क्षेत्र से हुआ है। इसके प्रवाह क्षेत्र के अंतर्गत कांकेर, बालोद एवं दुर्ग जिले आते हैं। इस नदी पर वर्ष 1913 में तांदुला परियोजना का निर्माण किया गया था जो छत्तीसगढ़ की प्रथम बांच-परियोजना है।
इसे भी पढ़े – Google Mera Naam Kya Hai | गूगल मेरा नाम क्या है?
गोदावरी नदी
गोदावरी अपवाह तंत्र राज्य का दूसरा बड़ा अपवाह तंत्र है जो राज्य के दक्षिण भाग में विस्तारित है। यह अपवाह तंत्र प्रदेश के कुल 28.64 प्रतिशत जल का वहन करती है तथा प्रदेश के 36.49 हजार वर्ग कि.मी. पर विस्तारित है।
इंद्रावती नदी, गोदावरी अपवाह तंत्र की सर्वप्रमुख सहायक नदी है। इसे बस्तर की जीवन रेखा कहा जाता है। इसके अतिरिक्त शबरी, नारंगी, बोरडिंग, गुडरा, निबरा, डंकिनी-शंखिनी, चिंतावागु, नंदीराज आदि सहायक नदियां है।
इंद्रावती नदी
बस्तर की जीवन रेखा कही जाने वाली इस नदी का उद्गम ओडिसा राज्य के कालाहांडी के मुंगेर पहाड़ी से हुआ है। यह 264 कि. गी. बहने के बाद छत्तीसगढ़-महाराष्ट्र सीमा पर भद्रकाली के पास गोदावरी नदी में विलीन हो जाती है।
गोदावरी प्रवाह तंत्र की सर्वप्रमुख नदी है। इस नदी के अपवाह तंत्र के अंतर्गत- बस्तर, दंतेवाड़ा एवं बीजापुर जिले आते हैं। इस नदी के तट पर जगदलपुर, बारसूर एवं भोपालपट्टनम जैसे शहर स्थित है। पूर्व काल में मंदाकनी नाम से प्रचलित इस नदी की प्रमुख सहायक नदी, कोटरी नदी है।
साथ ही, नारंगी, बोरडिंग, गुडरा, निबरा उत्तर की ओर से तथा डंकिनी-शंखिनी, चिंतावागु नंदीराज दक्षिण की ओर से इंद्रावती की सहायक नदियाँ है। इस नदी में चित्रकोट तथा सप्तधारा जलप्रपात स्थित है।
शबरी नदी
यह नदी गोदावरी की दूसरी प्रमुख सहायक नदी है। जो कोरापुट ओडिसा से निकलकर छत्तीसगढ़ और ओडिसा के मध्य सीमा रेखा बनाते हुए, कुनावरम् (आंध्रप्रदेश) के पास गोदावरी में मिलती है। इसकी कुल लंबाई 173 किमी. है। छत्तीसगढ़ में कांगेर नदी, शबरी नदी की प्रमुख सहायक नदी है।
इस नदी की घाटी रमणीय है जिसमें भैंसादरहा प्राकृतिक मगरमच्छ संरक्षण केंद्र, कुटुमसर की गुफा तथा कांगेर घाटी नेशनल पार्क स्थित है। मुनगाबहार इसकी सहायक नदी है जिसमें तीरथगढ़ जल प्रपात स्थित है।
शबरी का प्राचीन नाम कोलाब है। जिस पर सुकमा जिले में गुप्तेश्वर जलप्रपात स्थित है। इस नदी में कोटा के पास राज्य की एकमात्र जल परिवहन सुविधा है। राज्य सरकार ने इसे राज्य जलमार्ग घोषित किया है। इस नदी की बालू में सोने के कण भी पाये जाते है।
कोटरी नदी
यह इंद्रावती की सबसे लम्बी सहायक नदी है। यह राजनांदगांव के मोहेला – मानपुर क्षेत्र से निकलती है और अबूझमाड़ की पहाड़ियों के मह – य 135 किमी बहने के बाद, इन्द्रावती नदी में विलीन हो जाती है। कांकेर जिले में इस नदी पर परलकोट जलाशय निर्मित है। इस नदी को प्राचीनकाल में परलकोट नदी के नाम से भी जाना जाता था।
डंकिनी-शंखिनी नदी
यह नदी, इंद्रावती नदी की प्रमुख सहायक नदी है। डंकिनी-शंखिनी के संगम स्थल पर दंतेवाड़ा शहर बसा है। जहां पर काकतीवंशी राजा अन्नमदेव के द्वारा निर्मित दंतेश्वरी देवी का मंदिर स्थित है। डंकिनी नदी, डोंगरी पहाड़ी तथा शंखिनी नदी, नंदीराज चोटी बैलाडीला निकलती है। यह नदी प्रदेश की सबसे अधिक प्रदूषित नदी है। शंखिनी नदी का उद्गम लौह क्षेत्र से होने के कारण इसका जल लाल रंग का होता है।
सोन नदी
यह प्रदेश का तीसरा बड़ा नदी अपवाह तंत्र है जो प्रदेश के उत्तरी भाग में प्रवाहित होती है। यह अपवाह तंत्र प्रदेश के कुल जल के 13.63 प्रतिशत जल का वहन करती है। इसका प्रवाह क्षेत्र लगभग 18.769 हजार वर्ग कि.मी. है। इस अपवाह तंत्र के अंतर्गत प्रमुख नदियाँ रिहन्द, कन्हार, बनास एवं गोपद इत्यादि है।
रिहन्द नदी
सरगुजा की जीवन रेखा कहे जाने वाली इस नदी का उद्गम सरगुजा के छुरी मतिरिंगा-उदयपुर की पहाड़ी से हुआ है। जो 145 कि.मी. बहने के बाद उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर के समीप सोन नदी में विलीन हो जाती है। इसकी प्रमुख सहायक नदियाँ घुनघुट्टा, मोरनी, गोबरी, सूर्या, महान एवं रेन्ड आदि है।
कन्हार नदी
इस नदी का उद्गम जशपुर जिले के पण्डरा पाट के बखोनाचोटी से हुआ है। कन्हार नदी जशपुर और बलरामपुर जिले से होते हुए 115 कि.मी. बहने के बाद सोन नदी में विलीन हो जाती है। सिंदुर, गलफुला, पेजन एवं चनान आदि इसकी प्रमुख सहायक नदियों है। इस नदी
में बलरामपुर जिले पर कोठली एवं पवई जलप्रपात स्थित है।
ब्राह्मणी नदी
कुल अपवाह तंत्र का 1.03 प्रतिशत रखता है। इसका प्रवाह क्षेत्र 1423 वर्ग किमी. है।
इस तंत्र की प्रमुख सहायक नदी – 1. शंख नदी (छत्तीसगढ़) 2. कोयल नदी (झारखंड)
नर्मदा नदी
यह प्रदेश का सबसे छोटा नदी अपवाह तंत्र है जो प्रदेश के कुल जल का लगभग 0.55 प्रतिशत का वहन करती है। इसका प्रवाह क्षेत्र लगभग 750 वर्ग कि.मी. है इसकी प्रमुख सहायक नदी बंजर व टाडा है।
अधिक पूछे जाने वाले सवाल
छत्तीसगढ़ की सबसे छोटी नदी कौन सी है?
छत्तीसगढ़ की सबसे छोटी नदी हसदेव नदी है जो की एकमात्र सबसे छोटी नदी है।
छत्तीसगढ़ की जीवन रेखा किस नदी को कहा जाता है?
महानदी को छत्तीसगढ़ की जीवन रेखा कहा जाता है।
छत्तीसगढ़ की प्रमुख नदी का क्या नाम है?
छत्तीसगढ़ की प्रमुख नदी महानदी है जो छत्तीसगढ़ की सबसे बड़ी नदी है छत्तीसगढ़ राज्य का सर्वप्रमुख अपवाह तंत्र है जो राज्य के कुल जल का 56.15 प्रतिशत जल वहन करती है।
- आखिरी अपडेट: 6 मिनट पहले
हमें आशा है आपको यह जानकारी अच्छी लगी होगी। कृपया इस लेख के बारे में अपने विचार और सुझाव हमें बताएं। अधिक जानकारी पढ़ते रहने और नई अपडेट के लिए हमारे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को फॉलो और सब्सक्राइब करें।